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आंखें: अनमोल धरोहर, जिनकी सुरक्षा है हमारी ज़िम्मेदारी
Opinion

डॉ. प्रीती बिंद्रा, नेत्र रोग विशेषज्ञ
हमारे शरीर का सबसे संवेदनशील और जरूरी अंग है आंखें। ये न केवल हमें देखने की शक्ति देती हैं, बल्कि दुनिया को समझने और महसूस करने का सबसे प्रमुख माध्यम भी हैं। इसके बावजूद हम अक्सर आंखों की देखभाल को नजरअंदाज कर देते हैं। भागदौड़ भरी ज़िंदगी, स्क्रीन पर बढ़ता समय और अनियमित दिनचर्या नेत्र स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालते हैं।
इस लेख में मैं, डॉक्टर प्रीती बिंद्रा, भोपाल की नेत्र रोग विशेषज्ञ के रूप में आपको आंखों की सुरक्षा के लिए आवश्यक जानकारी और व्यावहारिक सुझाव देना चाहूंगी।
1. आंखों की सेहत क्यों है जरूरी?
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दृष्टि क्षमता ही जीवन की दिशा है। यदि आपकी आंखें स्वस्थ नहीं हैं, तो न केवल आपका काम प्रभावित होता है, बल्कि मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन और सामाजिक दूरी भी बढ़ सकती है।
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आंखों की खराबी का कई बार धीरे-धीरे असर होता है और जब तक हम कुछ महसूस करें, तब तक काफी नुकसान हो चुका होता है।
2. आज की जीवनशैली और आंखों पर असर
a) डिजिटल स्क्रीन टाइम:
मोबाइल, लैपटॉप और टीवी की स्क्रीन पर घंटों बिताना 'डिजिटल आई स्ट्रेन' यानी नेत्र थकावट को जन्म देता है। इसके लक्षण हैं:
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आंखों में जलन या खुजली
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धुंधला दिखना
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सिरदर्द
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गर्दन व कंधे में दर्द
b) नींद की कमी और खान-पान:
नींद पूरी न होना आंखों की थकान बढ़ाता है और आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स लाता है।
साथ ही, पोषण की कमी आंखों की कार्यक्षमता को प्रभावित करती है।
3. आंखों की सुरक्षा के लिए सरल लेकिन प्रभावी उपाय
1. 20-20-20 नियम अपनाएं:
हर 20 मिनट बाद 20 फीट दूर किसी वस्तु को 20 सेकंड तक देखें। इससे आंखों को आराम मिलता है।
2. पर्याप्त नींद लें:
कम से कम 6–8 घंटे की नींद आंखों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
3. स्क्रीन ब्राइटनेस नियंत्रित करें:
डिवाइस की ब्राइटनेस को आसपास की रोशनी के अनुरूप रखें। "नाइट मोड" का उपयोग करें।
4. सही चश्मे का प्रयोग:
यदि डॉक्टर ने चश्मा पहनने को कहा है, तो नियमित रूप से उसका उपयोग करें। कंप्यूटर उपयोगकर्ताओं के लिए ब्लू कट चश्मा और UV प्रोटेक्शन ग्लास आंखों को सुरक्षित रखते हैं।
5. आंखों की सफाई पर ध्यान दें:
धूल, प्रदूषण और मेकअप के अवशेष आंखों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। दिन में दो बार साफ पानी से आंखें धोना अच्छा होता है।
6. हाइड्रेशन और आहार:
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खूब पानी पीएं।
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विटामिन A, C और E युक्त खाद्य पदार्थ लें जैसे गाजर, पालक, आंवला, बादाम, और मछली।
7. धूप से बचाव:
UV किरणें आंखों को क्षति पहुंचा सकती हैं। धूप में निकलते समय सनग्लासेस का उपयोग करें जो UV प्रोटेक्शन वाले हों।
4. बच्चों और बुजुर्गों में विशेष सावधानी
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बच्चों की आंखें बेहद संवेदनशील होती हैं। टीवी या मोबाइल से दूरी बनाना और पढ़ने के लिए पर्याप्त रोशनी सुनिश्चित करना आवश्यक है।
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बुजुर्गों में मोतियाबिंद, ग्लूकोमा जैसे रोग सामान्य हैं। समय-समय पर नेत्र परीक्षण बहुत जरूरी है।
5. कौन सी स्थितियां हैं डॉक्टर से मिलने के संकेत?
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अचानक धुंधलापन
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एक आंख से दिखाई न देना
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आंखों में तेज दर्द या सूजन
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बार-बार आंसू आना या सूखापन
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रौशनी के चारों ओर हेलो या चकाचौंध
ये सभी संकेत गंभीर नेत्र रोग की ओर इशारा कर सकते हैं।
6. साल में एक बार आंखों की जांच जरूर कराएं
भले ही कोई समस्या न हो, लेकिन साल में एक बार नेत्र विशेषज्ञ से जांच करवाना, आपकी आंखों को लंबे समय तक स्वस्थ रखने में मदद करता है।
आंखें केवल देखने का माध्यम नहीं हैं, बल्कि हमारी आत्मा का दर्पण हैं। इनकी सुरक्षा न केवल हमारी ज़िम्मेदारी है, बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए एक सीख भी है। टेक्नोलॉजी का उपयोग करें, लेकिन आंखों की कीमत पर नहीं। छोटी-छोटी आदतें—जैसे नियमित जांच, उचित आहार और स्क्रीन से दूरी—आपकी आंखों को जीवनभर रोशन रख सकती हैं।
आपकी आंखें, आपकी ज़िंदगी का प्रकाश हैं—इन्हें यूं ही चमकने दीजिए।
— डॉ. प्रीती बिंद्रा
नेत्र रोग विशेषज्ञ
भोपाल