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पूर्वोत्तर भारत में खेल विकास को लेकर सिंधिया से मिले जॉन अब्राहम, फुटबॉल को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का संकल्प
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बॉलीवुड अभिनेता और नॉर्थईस्ट यूनाइटेड फुटबॉल क्लब (एनयूएफसी) के मालिक जॉन अब्राहम ने बुधवार को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की। इस मुलाकात में पूर्वोत्तर भारत में खेलों, विशेष रूप से फुटबॉल के विकास को लेकर चर्चा हुई। क्लब के सीईओ मंदर ताम्हाणे भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोशल मीडिया पर मुलाकात की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “ऐसे व्यक्ति से मिलना हमेशा खुशी देता है जो खेलों के प्रति गहरा जुनून रखता हो, खासकर पूर्वोत्तर भारत जैसे क्षेत्र में जहां युवाओं की प्रतिभा अद्भुत है और भारत की खेल महाशक्ति बनने की क्षमता रखती है।”
जॉन का सपना: भारत से निकले मेस्सी या रोनाल्डो
सिंधिया ने जॉन के उस जज़्बे की सराहना की जिसमें उन्होंने कहा था कि उनका सपना है कि “हमारी धरती से भी एक दिन मेस्सी या रोनाल्डो जैसा खिलाड़ी निकले।” केंद्रीय मंत्री ने जॉन और उनकी टीम को भारतीय फुटबॉल को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए शुभकामनाएं दीं।
नॉर्थईस्ट यूनाइटेड एफसी: जुनून, संघर्ष और सफलता की कहानी
गुवाहाटी स्थित एनयूएफसी पूर्वोत्तर भारत के आठ राज्यों—असम, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और सिक्किम—का प्रतिनिधित्व करता है। 13 अप्रैल 2014 को स्थापित यह क्लब इंडियन सुपर लीग (ISL) का हिस्सा है और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के मामले में देश का सबसे अनोखा क्लब है।
जॉन अब्राहम ने वर्ष 2013 में इस क्लब को खरीदा, जिसे वह केवल व्यावसायिक नहीं बल्कि अपने ‘जुनून का विषय’ मानते हैं। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था, “जब मेरी टीम हारती है तो मैं रोता हूं, लेकिन मैं उससे प्यार करता हूं। क्लब मेरे लिए एक भावनात्मक निवेश है।”
डूरंड कप 2024: पहली बड़ी जीत
एनयूएफसी ने हाल ही में डूरंड कप 2024 के फाइनल में मोहन बागान को 4-3 से हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। यह क्लब की पहली बड़ी ट्रॉफी थी। जॉन ने इस जीत को “कभी हार न मानने की भावना” का प्रतीक बताया।
उन्होंने कहा, “डूरंड कप जीतने की भावना अभी भी मेरे अंदर पूरी तरह नहीं समाई है। यह सबक है कि टीम को केवल जीतते समय नहीं, हार के समय भी थामे रखना चाहिए। हमने साबित किया कि हार के बाद भी उम्मीदें बची रहती हैं।”
पूर्वोत्तर में फुटबॉल की नई उड़ान
यह मुलाकात केवल एक औपचारिकता नहीं बल्कि देश के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में गंभीर प्रयास का संकेत है। जॉन अब्राहम और उनकी टीम के प्रयासों ने न केवल पूर्वोत्तर की युवा प्रतिभाओं को मंच दिया है, बल्कि भारत में फुटबॉल के भविष्य को लेकर नई संभावनाओं को भी जन्म दिया है।