- Hindi News
- पूजा पाठ
- सावन में करें शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप, मिलती है शांति और मोक्ष की अनुभूति
सावन में करें शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप, मिलती है शांति और मोक्ष की अनुभूति
Dharm desk
.jpg)
11 जुलाई से शुरू हो रहे सावन मास में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दौरान किए गए मंत्र-जाप, व्रत और साधना विशेष फलदायक माने जाते हैं।
खासतौर पर "शिव पंचाक्षर मंत्र" — ‘नमः शिवाय’ — का उच्चारण साधक के जीवन में शुद्धता, शांति और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग खोलता है।
क्या है शिव पंचाक्षर मंत्र?
शिव पंचाक्षर मंत्र पांच पवित्र अक्षरों से मिलकर बना है – न, म, शि, व, य। यह केवल ध्वनि मात्र नहीं, बल्कि भगवान शिव के विभिन्न रूपों और गुणों का सूक्ष्म स्तोत्र है। इससे शिव के विराट स्वरूप, करुणा, शक्ति और कल्याणकारी रूप का आह्वान होता है।
मंत्र का हर अक्षर छिपाए है एक विशेष रहस्य:
-
"न": नागों के राजा को गले में धारण करने वाले शिव को समर्पित।
-
"म": मंदाकिनी जल और चंदन से पूजित शिव का प्रतीक।
-
"शि": शुभ और संहारक, नीले कंठ और वृषभध्वजधारी शिव।
-
"व": वशिष्ठ, अगस्त्य, गौतम जैसे मुनियों के पूज्य ब्रह्मांडपति शिव।
-
"य": यज्ञरूप, त्रिशूलधारी, जटाधारी और दिगंबर शिव।
सावन में मंत्र जाप के लाभ:
-
जीवन से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
-
मानसिक तनाव और भय दूर होता है।
-
आत्मा शुद्ध होती है और मोक्ष की ओर मार्ग प्रशस्त होता है।
-
शिव की कृपा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
-
शरीर और मन में अद्भुत संतुलन व ऊर्जा का संचार होता है।
कब और कैसे करें जाप?
प्रतिदिन प्रातःकाल या संध्या में शांत वातावरण में बैठकर "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें। कम से कम 108 बार रुद्राक्ष माला से यह जाप करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। विशेष रूप से सावन के सोमवार को यह जाप और भी शुभ माना जाता है।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र का भी करें पाठ:
"नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय..." से शुरू होने वाला शिव पंचाक्षर स्तोत्र शिवभक्तों के लिए दिव्य साधना का माध्यम है। इसका नियमित पाठ आत्मिक उन्नति का द्वार खोलता है और व्यक्ति को शिवलोक तक पहुंचा सकता है।