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छत्तीसगढ़ के दो स्कूलों में छात्रों के साथ बर्बरता: टीचरों की पिटाई से एक छात्र बहरा, दूसरे की पीठ पर बने चोट के निशान
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छत्तीसगढ़ के दो जिलों से स्कूली बच्चों के साथ शारीरिक हिंसा के चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं। राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ स्थित खालसा पब्लिक स्कूल में कक्षा 7वीं के छात्र को महिला शिक्षक द्वारा थप्पड़ मारे जाने के बाद उसकी सुनने की क्षमता लगभग समाप्त हो गई, वहीं रायगढ़ के आनंदा मार्ग प्राइमरी स्कूल में नर्सरी के 3 साल के मासूम बच्चे को पीटने का मामला सामने आया है।
घटना 2 जुलाई को डोंगरगढ़ के खालसा पब्लिक स्कूल की है। कक्षा 7वीं में पढ़ने वाले 13 वर्षीय सार्थक सहारे को सामाजिक विज्ञान की शिक्षिका प्रियंका सिंह ने किताब देर से निकालने और बात न समझ पाने पर लगातार 4 थप्पड़ मारे, जिससे उसके दोनों कानों को गहरी चोट पहुंची। रायपुर के निजी अस्पताल में इलाज करवा रहे डॉक्टरों के मुताबिक, छात्र का बायां कान 80% और दायां कान 70% तक डैमेज हो चुका है।
छात्र की मां संतोषी सहारे का कहना है कि उनके बेटे को अब नियमित रूप से इलाज के लिए रायपुर ले जाना पड़ रहा है। उन्होंने शिक्षक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
शिकायत पर जांच, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने दिखाया उदासीन रवैया
पीड़ित छात्र के पिता ने जब स्कूल प्रबंधन से शिकायत की तो केवल शो-कॉज नोटिस जारी कर मामला टाल दिया गया। न इलाज का खर्च उठाया गया और न ही माफी मांगी गई। इस मामले में बीईओ वीरेंद्र कौर गरछा ने बताया कि एक जांच कमेटी गठित की गई है, जो 48 घंटे में रिपोर्ट सौंपेगी। रिपोर्ट के आधार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
रायगढ़: 3 साल के मासूम की पीठ पर पिटाई के निशान
दूसरा मामला रायगढ़ के बेलादुला स्थित आनंदा मार्ग प्राइमरी इंग्लिश मीडियम स्कूल का है। नर्सरी में पढ़ने वाले 3 साल के बच्चे की पीठ पर गहरे निशान पाए गए। परिजन जब बच्चे को स्कूल से घर लेकर आए, तो कपड़े बदलते समय उन्हें पीठ पर चोट के निशान दिखे। पूछने पर बच्चे ने बताया कि टीचर आकाश सेठ ने उसे मारा है।
टीचर हिरासत में, पुलिस जांच जारी
परिजनों की शिकायत पर रायगढ़ के चक्रधर नगर थाने में मामला दर्ज किया गया। डीएसपी सुशांतो बनर्जी ने पुष्टि की कि शिक्षक को हिरासत में लिया गया है और पूछताछ जारी है। आरोपी टीचर ने कहा कि बच्चा सीढ़ियों पर चढ़ रहा था, गिरने के डर से टोका और सिर्फ एक थप्पड़ मारा।
घटनाओं ने उठाए स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर सवाल
इन दोनों मामलों ने एक बार फिर स्कूली शिक्षकों के व्यवहार और बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक तरफ सरकार बाल अधिकारों को लेकर कानूनों को सख्ती से लागू करने की बात करती है, वहीं ऐसे मामलों में स्कूल प्रबंधन की निष्क्रियता चिंताजनक है।
छात्र की मां का दर्द:
"ये कोई मामूली सजा नहीं थी, बल्कि हमारे बच्चे की जिंदगी पर हमला है। हम चाहते हैं टीचर को सस्पेंड किया जाए और स्कूल उसके इलाज का खर्च उठाए।"
संपादकीय टिप्पणी:
शिक्षा मंदिरों में बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। ऐसे मामलों में केवल शिक्षकों पर कार्रवाई नहीं, बल्कि स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी तय करना भी जरूरी है।