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डिप्टी सीएम अरुण साव का औचक निरीक्षण: भारतमाला परियोजना से छत्तीसगढ़ को मिलेगी विकास की नई रफ्तार
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उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने शुक्रवार को रायपुर-विशाखापट्टनम एक्सप्रेसवे के निर्माण कार्य का औचक निरीक्षण किया। अभनपुर क्षेत्र में चल रहे ओवरब्रिज और सड़क निर्माण कार्य का जायजा लेते हुए उन्होंने अधिकारियों से निर्माण गुणवत्ता की विस्तृत जानकारी ली और तय समयसीमा में कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए।
निरीक्षण के दौरान लोक निर्माण विभाग और भारतमाला परियोजना से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। डिप्टी सीएम साव ने ग्राम पंचायत भेलवाडीह के पास भी निर्माणाधीन सड़क का अवलोकन किया, जहाँ उन्होंने निर्माण सामग्री की गुणवत्ता के बारे में जानकारी ली। अधिकारियों ने आश्वस्त किया कि परियोजना के तहत सभी निर्माण कार्य तय मानकों के अनुरूप हो रहे हैं।
जनता को मिलेगा बड़ा लाभ
निरीक्षण के बाद उप मुख्यमंत्री ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि यह एक्सप्रेसवे न केवल छत्तीसगढ़ को ओडिशा और आंध्र प्रदेश से जोड़ेगा, बल्कि यह प्रदेश के आर्थिक विकास में भी मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से विशाखापट्टनम बंदरगाह तक की यात्रा आसान और कम समय में पूरी हो सकेगी, जिससे व्यापार और परिवहन को नई दिशा मिलेगी।
464 किलोमीटर लंबी यह छह लेन की सड़क रायपुर, धमतरी, कांकेर, कोंडागांव, कोरापुट और सब्बावरम जैसे प्रमुख शहरों को जोड़ते हुए विशाखापट्टनम बंदरगाह तक पहुंचेगी। इसका निर्माण केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना के तहत किया जा रहा है।
मुआवजा घोटाले पर उठे सवाल
हालांकि इस परियोजना से जुड़ी एक और बड़ी खबर सामने आई है। विपक्ष द्वारा विधानसभा में उठाए गए मुआवजा वितरण से जुड़े घोटाले के आरोपों ने सरकार की जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने बजट सत्र के दौरान यह मुद्दा जोरशोर से उठाया और जांच की मांग की।
बताया जा रहा है कि कई किसानों की जमीन अधिग्रहण के बाद भी उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला है। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के अनुसार, अधिग्रहण की गई जमीन की मूल कीमत के अतिरिक्त उतनी ही राशि ‘सोलेशियम’ के रूप में दी जानी चाहिए, लेकिन इस नियम का पालन नहीं होने की शिकायतें सामने आई हैं।
भूमि अधिग्रहण का प्रावधान
भूमि अधिग्रहण अधिनियम के मुताबिक यदि किसी किसान की 5 लाख की जमीन अधिग्रहित की जाती है, तो उसे 5 लाख का मुआवजा और 5 लाख सोलेशियम मिलाकर कुल 10 लाख रुपए दिए जाने चाहिए। कुछ मामलों में यह राशि 20 लाख तक भी हो सकती है। लेकिन अब तक कई किसानों को यह लाभ नहीं मिला है, जिससे सरकार की नीयत और व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लग रहे हैं।