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"भक्ति की भोर में जागा उज्जैन: जब 7 जुलाई को महाकाल ने किया भस्म से श्रृंगार"
Ujjain, MP

"सुबह के चार बजे का वो क्षण…
जब अंधकार धीरे-धीरे ओझल हो रहा था…
और उज्जैन में ब्रह्ममुहूर्त की पवित्र वेला में खुल रहे थे श्री महाकालेश्वर मंदिर के कपाट।
7 जुलाई… सोमवार…
आषाढ़ मास की द्वादशी…
और वह पावन घड़ी, जब स्वयं काल के अधिपति — महाकाल — अभिषेक और आरती के लिए तैयार थे।"
"भगवान महाकालेश्वर का जल से अभिषेक हुआ…
फिर दूध, दही, घी, शहद और फलों के रस से बना पंचामृत शिवलिंग पर अर्पित किया गया।
हर मंत्र, हर स्पर्श… जैसे शिव को जगाने नहीं, उन्हें अपने हृदय में उतारने का निमंत्रण हो।"
"इसके बाद आरंभ हुआ महाकाल का दिव्य श्रृंगार —
माथे पर चंदन से त्रिपुंड…
नेत्रों में त्रिनेत्र का तेज…
और फिर रजत का मुकुट, रुद्राक्ष की माला, मुण्डमाल और आज विशेष —ड्रायफ्रूट से सजी महाकाल की आकृति, जिसने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।"
आषाढ़ शुक्ल द्वादशी पर भगवान महाकाल का पंचामृत से अभिषेक कर रजत मुकुट, चंदन, रुद्राक्ष और ड्रायफ्रूट से भव्य सज्जा की गई। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन कर मनोकामनाएं मांगी और मंदिर परिसर ‘हर हर महादेव’ के जयघोष से गूंज उठा।