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27% ओबीसी आरक्षण पर सीएम की सर्वदलीय बैठक, कांग्रेस-बीजेपी समेत सभी दलों के नेता होंगे शामिल
Bhopal, MP

मध्यप्रदेश में लंबे समय से अटके 27% ओबीसी आरक्षण को लेकर आज मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। यह बैठक मुख्यमंत्री निवास पर सुबह 11 बजे होगी।
इसमें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, सपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज यादव और बसपा प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल सहित विभिन्न दलों के शीर्ष नेता शामिल होंगे।
मामला क्यों अटका?
साल 2019 में कमलनाथ सरकार ने ओबीसी आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% करने का फैसला लिया था। सरकार का कहना था कि राज्य की आबादी में ओबीसी का अनुपात करीब 48% है, इसलिए 27% आरक्षण न्यायसंगत है। विधानसभा में अध्यादेश पारित कर इसे लागू भी किया गया। लेकिन हाईकोर्ट में चुनौती मिलने के बाद मई 2020 में भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई। इसके चलते एमपीपीएससी और शिक्षकों की भर्ती समेत कई नियुक्तियां अटकी हुई हैं।
सुप्रीम कोर्ट में MPPSC की नई अर्जी
बैठक से ठीक एक दिन पहले, बुधवार को मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने सुप्रीम कोर्ट में नया आवेदन दाखिल किया। आयोग ने पहले दिए गए काउंटर एफिडेविट को वापस लेने की अनुमति मांगी है। इस हलफनामे में त्रुटियां होने की बात स्वीकार करते हुए आयोग ने बिना शर्त माफी भी मांगी है। अब संशोधित एफिडेविट दाखिल करने की अपील की गई है।
6 साल से आरक्षण पर रोक
2019 से अब तक लाखों उम्मीदवार चयनित होने के बावजूद नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट कई बार साफ कर चुके हैं कि आरक्षण पर सीधी रोक नहीं है, लेकिन प्रक्रिया राजनीतिक और कानूनी उलझनों में अटकी हुई है।
कमलनाथ का कटाक्ष
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस बैठक को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस सरकार ने पहले ही 27% आरक्षण लागू कर दिया था, तो अब सर्वदलीय बैठक का कोई औचित्य नहीं है। उनके अनुसार, सरकार बार-बार ओबीसी समाज को बरगलाने और गुमराह करने की कोशिश कर रही है।
कमलनाथ ने यह भी आरोप लगाया कि 18 अगस्त को MPPSC ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दाखिल किया था, उसमें ओबीसी आरक्षण की याचिकाओं को खारिज करने की बात कही गई थी। अब वही आयोग माफी मांगते हुए उसे वापस लेने की बात कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह साफ दर्शाता है कि सरकार और आयोग एक ही मंशा से काम कर रहे हैं।
कमलनाथ ने मांग की कि सरकार सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगकर तत्काल प्रभाव से 27% ओबीसी आरक्षण लागू करे।