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इस गणेशोत्सव पर होगी पैसों की बारिश: देश में ₹28,000 करोड़ का कारोबार होने का अनुमान
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27 अगस्त से पूरे देश में गणेशोत्सव की शुरुआत हो रही है, और इस बार त्योहार आर्थिक दृष्टि से भी बेहद बड़ा होने वाला है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार देशभर में लगभग ₹28,000 करोड़ का व्यापार होने की संभावना है।
स्वदेशी उत्सव का जोर
इस साल बड़े पैमाने पर स्वदेशी गणेशोत्सव मनाया जा रहा है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया कि व्यापारी विदेशी उत्पादों की बजाय स्वदेशी वस्तुओं को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसी के साथ ग्राहकों को भी स्थानीय और देशी उत्पादों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री और दिल्ली चांदनी चौक से भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि गणेशोत्सव के दौरान महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और गोवा जैसे राज्यों में बड़ी आर्थिक गतिविधियां होती हैं, जो भारतीय सनातन अर्थव्यवस्था की ताकत को दर्शाती हैं।
पंडालों की संख्या और खर्च
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने बताया कि इस साल पूरे देश में करीब 2 लाख से अधिक गणेश पंडाल लगाए जाएंगे। महाराष्ट्र में सबसे अधिक लगभग 7 लाख, कर्नाटक में 5 लाख, आंध्र, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में 2-2 लाख, गुजरात में 1 लाख और बाकी राज्यों में लगभग 2 लाख पंडाल होंगे।
अगर प्रति पंडाल न्यूनतम ₹50,000 खर्च माना जाए, तो केवल पंडालों पर होने वाला कुल खर्च ₹10,500 करोड़ से अधिक होगा।
व्यापार का विस्तृत विवरण
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गणेश प्रतिमाओं का व्यापार: ₹600 करोड़ से अधिक
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पूजा सामग्री (फूल, माला, नारियल, फल, धूप आदि): ₹500 करोड़ से अधिक
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मोदक व अन्य मिठाईयों की बिक्री: ₹2,000 करोड़ से अधिक
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पंडालों में आयोजनों के लिए कैटरिंग व स्नैक्स: ₹3,000 करोड़
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पर्यटन व परिवहन: ₹2,000 करोड़ से अधिक
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रिटेल एवं त्योहार संबंधित वस्तुएं: ₹3,000 करोड़
सोना-चांदी और इवेंट मैनेजमेंट
गणपति पंडाल अब अत्याधुनिक हो चुके हैं और इसके लिए इवेंट मैनेजमेंट सेवाओं पर लगभग ₹5,000 करोड़ का खर्च होता है। साथ ही, कचरा प्रबंधन, सजावट और पुनर्चक्रण में भी बड़ी लागत आती है।
श्रद्धालु गणेशोत्सव पर सोना-चांदी के आभूषण खरीदकर पंडालों में दान करते हैं। महाराष्ट्र में घर-घर में गणपति बप्पा के दर्शन पर चांदी की मूर्तियां और सिक्के भेंट किए जाते हैं, जिससे लगभग ₹1,000 करोड़ का सोना-चांदी कारोबार होता है।
पंडालों का बीमा और सुरक्षा
भीड़ बढ़ने और हादसों को रोकने के लिए कई गणपति पंडाल बीमा कराते हैं, खासकर जब मूर्तियों पर लाखों रुपये के गहने चढ़े होते हैं। इस साल बीमा कारोबार ₹1,000 करोड़ से अधिक होने का अनुमान है।
त्योहारों का आर्थिक प्रभाव
शंकर ठक्कर के अनुसार, यह त्योहारों का सीजन रक्षाबंधन से शुरू होकर गणेश चतुर्थी, नवरात्र, दशहरा, करवा चौथ, दिवाली और छठ पूजा तक चलता है। यह श्रृंखला भारतीय अर्थव्यवस्था को गतिशील बहाव प्रदान करती है और दिखाती है कि देश में सनातन आर्थिक गतिविधियों की भूमिका आज भी काफी मजबूत बनी हुई है।