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बालाघाट मॉडल से आदिवासियों को सीधा लाभ: पुलिस चौकियों से मिल रहे वनाधिकार पट्टे, नक्सली क्षेत्र में बदलाव की नई पहल
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मध्यप्रदेश के नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले में पुलिस चौकियों को अब प्रशासनिक सुविधा केंद्रों में बदला जा रहा है। "ऑपरेशन पहचान" के तहत इन केंद्रों से आदिवासी समुदाय को सीधे आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, वृद्धावस्था पेंशन और वनाधिकार पट्टा जैसी सुविधाएं मिल रही हैं।
यह प्रयास राज्य सरकार द्वारा जनजातीय क्षेत्रों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
विशेष बात यह रही कि इस पहल से प्रभावित होकर एक कुख्यात नक्सली कमांडर की पत्नी हिरोड़ा बाई ने भी वनाधिकार पट्टे के लिए आवेदन किया, जो इस योजना के प्रति लोगों के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है।
अब इस सफल मॉडल को पूरे प्रदेश के 89 जनजातीय ब्लॉकों में लागू किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सीएम हाउस में हुई टास्क फोर्स की बैठक में यह निर्णय लिया और अधिकारियों को 31 दिसंबर 2025 तक सभी पात्र परिवारों को पट्टा आवंटन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
बालाघाट एसपी आदित्य मिश्रा की पहल पर यह मॉडल वर्ष 2022 में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुआ था। मिश्रा ने हर पुलिस चौकी में 4-5 कर्मियों को प्रशिक्षण दिलाकर उन्हें योजनाओं की जानकारी देने और विभागों से समन्वय बनाने का जिम्मा सौंपा। उनके प्रयासों से दूरदराज के आदिवासी अब सीधे लाभ प्राप्त कर पा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि ग्राम स्तर पर पेसा मोबिलाइजर्स की नियुक्ति अब ग्राम सभाएं करेंगी। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और ग्राम स्तर पर जवाबदेही तय होगी। साथ ही, आदिवासी छात्रों और युवाओं के लिए सामाजिक सम्मेलन आयोजित करने की भी योजना है ताकि सरकारी योजनाओं का प्रभाव सीधे फीडबैक के रूप में सामने आ सके।
वनाधिकार अधिनियम और पेसा एक्ट को विधायकों के विजन डॉक्यूमेंट में शामिल कर विशेष रूप से पिछड़े जनजातीय समूहों के गांवों में सड़कों, पोर्टल और योजना कार्यान्वयन पर विशेष ध्यान देने की बात भी बैठक में हुई।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यदि तकनीकी दिक्कतें आती हैं, तो संबंधित विभाग एक नया पोर्टल बनाकर प्रक्रिया को सरल करें और 15 अगस्त तक वन अधिकारियों की ट्रेनिंग पूरी कर लें।