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जबलपुर से शुरू हुआ ‘प्राकृतिक खेती चौपाल’ अभियान: सीएम ने की प्रोत्साहन योजना की घोषणा
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मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों को रासायनिक खेती से दूर कर प्राकृतिक खेती की ओर प्रेरित करने के लिए ‘एक चौपाल प्राकृतिक खेती के नाम’ अभियान की शुरुआत जबलपुर से की। इस विशेष चौपाल में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और प्रदेश के कृषि मंत्री इंदर सिंह कंसाना मौजूद रहे।
कार्यक्रम का आयोजन लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह के नेतृत्व में किया गया, जिसमें प्रदेश भर से हजारों किसानों ने भाग लिया। चौपाल में प्राकृतिक खेती के लाभों पर चर्चा के साथ ही किसानों को प्रशिक्षण और तकनीकी जानकारी दी गई।
‘प्राकृतिक खेती के लिए बनेगी प्रोत्साहन योजना’ - सीएम मोहन यादव
मुख्यमंत्री ने चौपाल को संबोधित करते हुए कहा कि आज की आवश्यकता है कि हम प्राकृतिक खेती की ओर लौटें। उन्होंने बताया कि पहले के जमाने में देश की अधिकांश खेती प्रकृति के सहारे होती थी, लेकिन आधुनिक काल में रासायनिक खेती ने किसानों को संकट में डाल दिया है।
सीएम ने घोषणा की कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में विशेष प्रोत्साहन योजना लाई जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस पद्धति से खेती करने वाले किसानों को प्रशिक्षण और सहायता भी दी जाएगी।
‘रासायनिक खेती महापाप है’ - आचार्य देवव्रत
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने रासायनिक खेती पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि खेतों में रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग धरती के लिए जहर जैसा है। इससे न केवल मिट्टी की उर्वरता खत्म हो रही है, बल्कि ग्लोबल वॉर्मिंग, जल संकट और स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ रही हैं।
उन्होंने किसानों को जागरूक करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती ही एकमात्र रास्ता है जो धरती को बचा सकती है और इंसान को स्वस्थ बना सकती है।
‘खेती में आई पश्चिमी सभ्यता, हमने सुधार किया’ - मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यह भी कहा कि कुछ समय पहले तक खेती में पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव था, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकारों की नीतियां किसानों को रासायनिक खेती की ओर धकेलने वाली थीं। लेकिन मौजूदा सरकार ने इस दिशा में सुधार किया है।
प्राकृतिक खेती पर किसानों की कार्यशाला भी आयोजित
इस अवसर पर प्राकृतिक खेती की कार्यशाला भी आयोजित की गई, जिसमें वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने किसानों को जैविक खाद, जीवामृत, गोमूत्र आधारित फॉर्मूले, और भूमि स्वास्थ्य से जुड़ी तकनीकों की जानकारी दी।