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दतिया के नाग नागेश्वर धाम में सावन की विशेष परंपरा : रोज बन रहा एक नया शिवलिंग, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की हुई स्थापना
दतिया, MP

मध्यप्रदेश के दतिया स्थित श्री नाग नागेश्वर महादेव मंदिर में श्रावण मास की श्रद्धा नई ऊंचाइयों को छू रही है। यहां हर सावन सोमवार भक्तों को एक अनूठा दृश्य देखने को मिल रहा है – न केवल सभी 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन एक स्थान पर संभव हो रहे हैं, बल्कि पूरे सावन माह मंदिर में प्रतिदिन एक नवीन शिवलिंग की स्थापना की जा रही है।
शनिवार को इसी क्रम में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का प्रतीक रूप से निर्माण मिट्टी से किया गया। पूजा विधि के अनुसार वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ भगवान शिव की आराधना की गई।
शिवलिंग पूजन के साथ ज्ञान का भी संगम
मंदिर समिति के संरक्षक डॉ. एम. एल. सोनी के अनुसार, इस परंपरा की खास बात यह है कि शिवलिंग स्थापना के साथ-साथ उस ज्योतिर्लिंग से जुड़ा इतिहास, उसकी आध्यात्मिक महत्ता और पौराणिक कथा भी श्रद्धालुओं को सुनाई जाती है। यह परंपरा न केवल आस्था को गहराई देती है, बल्कि लोगों को भारतीय धार्मिक परंपरा की जड़ों से भी जोड़ती है।
हर दिन चुने जा रहे विशेष यजमान
मंदिर में इन आयोजनों के दौरान प्रतिदिन एक मुख्य यजमान भी चुना जा रहा है, जिसकी जानकारी मंदिर परिसर में विशेष बोर्ड और घोषणा के माध्यम से दी जाती है। शनिवार को यह सम्मान श्री राम प्रकाश सोनी एवं परिवार, उरई (उत्तर प्रदेश) को प्राप्त हुआ।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के श्रीशैल पर्वत पर कृष्णा नदी के तट पर स्थित है। इसे "दक्षिण का कैलाश" भी कहा जाता है। यह भगवान शिव और माता पार्वती के संयुक्त स्वरूप का प्रतीक माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार, कार्तिकेय और गणेश के बीच ‘कौन श्रेष्ठ’ की बहस पर शिव-पार्वती ने परिक्रमा की परीक्षा ली थी। गणेश ने माता-पिता की परिक्रमा कर बुद्धिमत्ता दिखाई, जिससे प्रसन्न होकर उनका विवाह कर दिया गया। क्रोधित होकर कार्तिकेय क्रोंच पर्वत चले गए, जहां शिव-पार्वती भी पहुंचे और वहीं ज्योतिर्लिंग रूप में स्थापित हो गए। 'मल्लिका' माता पार्वती और 'अर्जुन' शिव का प्रतीक है।
श्रद्धा, आस्था और परंपरा का संगम
दतिया के नाग नागेश्वर धाम में सावन के इस आध्यात्मिक आयोजन ने स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं को भी आकर्षित किया है। मंदिर परिसर हर दिन शिव भक्ति से गूंज रहा है और मिट्टी से बनी ये प्रतीकात्मक ज्योतिर्लिंग प्रतिमाएं भक्तों के मन में विशेष स्थान बना रही हैं।
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