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इंदौर-उज्जैन सड़क परियोजना के विरोध में किसानों ने लगाया लंबा जाम
Indore,M.P

बुधवार को इंदौर में किसानों का एक बड़ा आंदोलन देखने को मिला।
हाथोद और आसपास के इलाकों के किसान इंदौर-उज्जैन ग्रीन फील्ड कॉरिडोर परियोजना के विरोध में एक हजार से अधिक ट्रैक्टर लेकर इंदौर पहुंचे। किसानों ने इस परियोजना को निरस्त करने, सोयाबीन की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने और मुआवजा दर बढ़ाने जैसी मांगें प्रशासन के समक्ष रखीं। आंदोलन के दौरान किसानों ने सरकार और कांग्रेस दोनों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।
किसानों ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों का रिकॉर्ड कराया। धार रोड पर करीब दो किलोमीटर लंबा जाम लग गया, जिससे आसपास के इलाके में आवाजाही प्रभावित हुई। जाम के कारण वहां से गुजरने वाले लोग घंटों तक फंसे रहे और लंबी वाहनों की कतारें लगीं।
ट्रैक्टर रैली और प्रदर्शन
प्रदर्शन में शामिल किसान इंदौर और उज्जैन जिले के थे। हाथोद और आसपास के गांवों से करीब पांच हजार से अधिक किसान रैली के रूप में इंदौर पहुंचे। किसानों ने अपने-अपने ट्रैक्टरों में बैठकर नारे लगाते हुए कलेक्ट्रेट की ओर मार्च किया।
प्रशासन ने किसानों को शहर के भीतर कलेक्ट्रेट तक ट्रैक्टर ले जाने की अनुमति नहीं दी और उन्हें धार रोड के नूरानी नगर के पास रोक दिया। रैली के दौरान करणी सेना परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीवन सिंह शेरपुर ने किसानों से अपील की कि चुनाव के समय नेताओं को गांवों में घुसने न दें। इसके बाद किसानों ने एडीएम रोशन रॉय को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगें रखीं।
ग्रीन फील्ड कॉरिडोर का प्रभाव
इंदौर-उज्जैन ग्रीन फील्ड कॉरिडोर परियोजना से इंदौर की सांवेर और हातोद तहसीलों के करीब 20 गांव और उज्जैन जिले के 8 गांव प्रभावित हो रहे हैं। परियोजना के लिए कुल 188 हेक्टेयर उपजाऊ जमीन अधिग्रहीत की जा रही है। कई किसानों की पूरी जमीन इस परियोजना के दायरे में आ रही है, जबकि कुछ किसानों की जमीनों के बीच से सड़क गुजर रही है।
किसान नेता बबलू जाधव ने कहा कि सरकार ने बिना पर्याप्त सर्वे और आकलन के यह योजना लागू कर दी है। उनका कहना है कि इससे किसानों की आजीविका पर खतरा मंडरा रहा है। जाधव ने यह भी बताया कि सड़क परियोजना 2028 के उज्जैन सिंहस्थ को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है, जबकि उज्जैन जाने के पहले से ही कई मार्ग हैं जिन्हें चौड़ा कर इस उद्देश्य को पूरा किया जा सकता है।
मुआवजे और फसल मूल्य को लेकर नाराजगी
किसानों का आरोप है कि सरकार द्वारा तय मुआवजा बाजार मूल्य से काफी कम है। कांकरिया के किसान वीरेंद्र चौहान ने कहा कि गाइडलाइन के अनुसार दोगुना मुआवजा देने की बात कही जा रही है, जबकि जमीन के वास्तविक दाम पांच गुना तक बढ़ चुके हैं।
किसान जाधव का कहना है कि लगातार नीतियों और योजनाओं में किसानों के हितों की अनदेखी की जा रही है। सरकार योजनाएं तो बना देती है, लेकिन अन्नदाता की स्थिति को समझने का प्रयास नहीं करती। इस सड़क परियोजना से प्रभावित किसानों को मुआवजा नहीं मिल रहा है और आसपास के 10 किमी क्षेत्र में उनकी जमीनों के विकल्प भी उपलब्ध नहीं हैं।