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मध्य प्रदेश ड्रग विभाग में मशीनों और स्टाफ की भारी कमी, 6,000 सैंपल की रिपोर्ट लंबित
Madhya Pradesh
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मध्य प्रदेश के ड्रग विभाग में स्टाफ और आधुनिक मशीनों की कमी के चलते 6,000 दवाओं के सैंपल की रिपोर्ट एक साल से लंबित है
मध्य प्रदेश के ड्रग विभाग में स्टाफ और आधुनिक मशीनों की कमी के चलते 6,000 दवाओं के सैंपल की रिपोर्ट एक साल से लंबित है। जांच वैन कबाड़ हो चुकी हैं और सिरप के कुछ सैंपल फेल पाए गए हैं। विपक्ष ने इस लापरवाही को गंभीर बताते हुए सरकार पर निशाना साधा है
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6,000 दवाओं के सैंपल की रिपोर्ट लंबित:
लगभग एक साल से ड्रग विभाग की जांच रिपोर्ट नहीं आ पा रही। इसका मुख्य कारण विभाग में स्टाफ की भारी कमी और आधुनिक जांच मशीनों की अनुपलब्धता है। -
ज्वाइंट ड्रग कंट्रोलर टीना यादव का बयान:
जांच प्रक्रिया धीमी होने के पीछे संसाधनों की कमी को स्वीकार किया गया है। साथ ही, सिरप के सैंपल की जांच में 20 में से 3 सैंपल फेल पाए गए हैं। -
दो मोबाइल जांच वैन कबाड़ में:
विभाग की दो चलती-फिरती लैब यानी मोबाइल जांच वैन, जो खाद्य और दवा जांच के लिए थीं, वे कबाड़ बन चुकी हैं। इस वजह से क्षेत्रीय जांच प्रभावित हो रही है।
सरकारी लापरवाही पर विपक्ष का हमला
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विपक्ष ने इस पूरे मामले को गंभीर मानते हुए इसे बच्चों की मौतों से जोड़ दिया है।
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नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा इसे "पुरानी बात" कहना उचित नहीं है, खासकर तब जब प्रदेश में रोजाना बच्चों की जान जा रही है।
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पीड़ित परिवारों को तुरंत आर्थिक सहायता देने की मांग की गई है।
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सरकार पर आंकड़ों को छिपाने और सही जानकारी न देने का आरोप लगाया गया है।
सिरप जांच का विवाद
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सिरप उत्पादन और वितरण में जिम्मेदारी स्पष्ट नहीं होने के कारण जांच में देरी हो रही है।
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जांच के तहत फेल पाए गए सिरप को बाजार से हटाने और जब्त करने का अभियान चलाया जा रहा है।
मध्य प्रदेश ड्रग विभाग में मशीनों की कमी और स्टाफ की भारी कमी ने दवा की गुणवत्ता जांच में गंभीर रुकावट पैदा की है। इसका सीधा असर स्वास्थ्य सुरक्षा पर पड़ रहा है, खासकर बच्चों की सुरक्षा को लेकर। कबाड़ हो चुकी जांच वैन और लंबित जांच रिपोर्ट की वजह से सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं, जबकि विपक्ष इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहा है