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मॉक पार्लियामेंट में छात्रा ने उठाया सवाल: कहा- सेक्सुअल हरासमेंट पर हो चर्चा, सिर्फ राजनीतिक विषयों पर नहीं
Bhopal, MP

भोपाल के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में महिला मोर्चा द्वारा आयोजित मॉक पार्लियामेंट के दौरान उस समय माहौल गर्मा गया जब विपक्ष की भूमिका निभा रही छात्रा छाया बिलगैंया ने सरकार से सीधे सवाल पूछ लिया। उन्होंने कहा कि सरकार केवल विकसित भारत, आपातकाल जैसे मुद्दे चुनती है लेकिन सेक्सुअल हरासमेंट जैसे ज़मीनी और गंभीर मुद्दों पर कभी चर्चा नहीं होती।
छात्रा का सीधा सवाल: हरासमेंट पर क्यों नहीं होती बहस?
छात्रा ने कहा, "हर बार सरकार ऐसे विषय चुनती है जिनमें आम लोगों की समस्याओं की चर्चा नहीं होती। खासकर जब महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न जैसे मामलों में अपराधियों को सजा नहीं मिलती, तब इस पर चर्चा क्यों नहीं होती?" छात्रा ने मांग की कि मॉक पार्लियामेंट में भी ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर खुलकर डिबेट होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री का जवाब: “फांसी की सजा दिलवाई, हम अपराधियों को नहीं बख्शते”
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जवाब में कहा कि मध्यप्रदेश पहला राज्य है जहां यौन अपराधियों को फांसी की सजा देने का प्रावधान है और कई मामलों में त्वरित कार्रवाई करते हुए न्याय दिलाया गया है। उन्होंने एक भोपाल केस का हवाला भी दिया जिसमें आरोपी को शीघ्र फांसी की सजा सुनाई गई।
कार्यक्रम में नेताओं के तीखे राजनीतिक बयान
सीएम मोहन यादव, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, और सांसद वीडी शर्मा ने अपने भाषणों में कांग्रेस और इंदिरा गांधी पर तीखा हमला किया। सीएम ने कहा कि कांग्रेस को भारतीय नाम तक नहीं मिल पाया, जबकि वीडी शर्मा और खंडेलवाल ने आपातकाल को लोकतंत्र की हत्या करार दिया।
छात्राओं ने आपातकाल और लोकतंत्र पर भी दिए जवाब
सीएम ने छात्राओं से सवाल पूछे कि आपातकाल की सबसे बुरी बात क्या थी। एक छात्रा ने इंदिरा गांधी की सत्ता बचाने की मंशा को दोषी ठहराया, तो दूसरी छात्रा ने संजय गांधी द्वारा की गई ज़बरदस्ती नसबंदी को "राइट टू लाइफ" का उल्लंघन बताया।
महिला मोर्चा की मौजूदगी और सरकार का महिला सम्मान पर जोर
कार्यक्रम में महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष माया नारोलिया, राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर, मंत्री कृष्णा गौर, सांसद संध्या राय समेत कई वरिष्ठ महिला प्रतिनिधि शामिल रहीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार महिलाओं को सम्मान देने में सबसे आगे है, और प्रशासनिक पदों से लेकर योजनाओं में उनकी भागीदारी लगातार बढ़ाई गई है।