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Video : रीवा में पोषण आहार मिलावट और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, बच्चों और महिलाओं की सेहत खतरे में
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रीवा जिले के पहड़िया स्थित पोषण आहार संयंत्र में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और घोर लापरवाही के आरोप सामने आए हैं।
यह संयंत्र जिले की उन हजारों आंगनवाड़ियों को पोषण सामग्री सप्लाई करता है, जहां बच्चों और महिलाओं को कुपोषण से बचाने और पोषण स्तर में वृद्धि करने के लिए सरकारी योजनाओं के तहत खाना वितरित किया जाता है। मगर हाल ही में सामने आईं शिकायतें इस बात का संकेत देती हैं कि जिस पोषण सामग्री को स्वास्थ्य और विकास का आधार होना चाहिए, वह अब बच्चों और महिलाओं के लिए खतरे का कारण बन सकती है।
मिलावट और गुणवत्ता में भारी गड़बड़ी
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि संयंत्र में तैयार होने वाला पोषण आहार तय मानकों और पोषण मूल्यों से मेल नहीं खाता है। जांच में यह सामने आया है कि पोषण सामग्री में घटिया किस्म के कच्चे माल का उपयोग किया जा रहा है। कई स्थानों से यह शिकायतें मिली हैं कि बच्चों और महिलाओं में पोषण सामग्री के सेवन के बाद पेट दर्द, उल्टी और दस्त जैसे लक्षण सामने आए हैं। यह स्थिति बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद चिंताजनक है, क्योंकि पोषण की कमी और घटिया सामग्री का सीधा असर उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ सकता है।
कागजों में सब ठीक, जमीनी हकीकत कुछ और
गोपनीय सूत्रों का कहना है कि संयंत्र में घटिया सामग्री का उपयोग किया जाता है, जबकि कागजों में सब कुछ मानक और प्रमाणिक दर्ज किया जाता है। यह खेल संयंत्र से लेकर प्रशासन के उच्च स्तर तक चलने का अंदेशा है। आरोप है कि संयंत्र से जुड़े कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की आपसी सांठगांठ के चलते यह पूरी प्रक्रिया भ्रष्टाचार और लापरवाही का शिकार हो रही है।
बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य से खिलवाड़
पोषण योजनाओं का मूल उद्देश्य बच्चों और महिलाओं में कुपोषण को खत्म करना है, मगर वर्तमान स्थिति में यह योजना उल्टे जानलेवा साबित हो सकती है। अगर यह आरोप प्रमाणित होते हैं तो यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही ही नहीं, बल्कि एक आपराधिक कृत्य होगा, जो भविष्य में जिले के हजारों बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य और जीवन को प्रभावित कर सकता है।
उच्चस्तरीय जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से मांग की है कि पहड़िया स्थित संयंत्र में चल रहे भ्रष्टाचार और मिलावट के मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों की पहचान की जाए और उनपर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही, पोषण सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि बच्चों और महिलाओं को मिलने वाला पोषण वास्तव में पौष्टिक और सुरक्षित हो सके।
प्रशासन और जिम्मेदारों की परीक्षा का वक्त
रीवा जैसे जिले में अगर पोषण जैसे संवेदनशील मुद्दे में लापरवाही और भ्रष्टाचार हो रहा है तो यह पूरी प्रशासनिक व्यवस्था और जिम्मेदार लोगों के लिए परीक्षा का समय है। अब यह देखना है कि प्रशासन इन आरोपों का किस प्रकार सामना करता है और दोषियों को क्या सजा दिलवाता है, ताकि बच्चों और महिलाओं के जीवन और भविष्य से खिलवाड़ करने वालों को कड़ा सबक सिखाया जा सके।