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इंदौर में आपातकाल की विभीषिका पर संगोष्ठी: सीएम बोले – “जो लोग इमरजेंसी लाए, वे आज भी उस कलंक से मुक्त नहीं”
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भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में 25 जून 1975 को लगे आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित संगोष्ठी में तीखे शब्दों में कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “आपातकाल लोकतंत्र पर सबसे बड़ा धब्बा था, जिसे लगाने वाले कभी इस कलंक से मुक्त नहीं हो सकते।”
डॉ. यादव ने इस दिन को “संविधान हत्या दिवस” के रूप में मनाने की जरूरत पर ज़ोर देते हुए कहा कि “उस दौर में हजारों निर्दोषों को जेल में डाला गया, न्यायालय के आदेश पलट दिए गए और लोकतंत्र की आत्मा को कैद कर दिया गया।” उन्होंने लोकतंत्र सेनानियों के संघर्ष को याद किया और उन्हें सच्चा राष्ट्रसेवक बताया।
त्रिवेदी बोले – "आपातकाल देश की दूसरी आज़ादी की लड़ाई थी"
राज्यसभा सांसद एवं भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आपातकाल का विरोध वास्तविक लोकतंत्र की नींव बना। उन्होंने कहा कि “उस समय किसी की भी संपत्ति जब्त हो सकती थी, संसद का कार्यकाल बढ़ा दिया गया था और मीडिया पर ताला जड़ दिया गया था।”
उन्होंने भारत को “लोकतंत्र की जननी” बताते हुए कहा कि आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश को “आत्मगौरव” की अनुभूति हो रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संगोष्ठी के साथ ही इंदौर में कुल 381 करोड़ रुपए के विकास कार्यों की सौगात दी। इसमें सबसे विशेष रहा 18 करोड़ की लागत से निर्मित ‘स्नेह धाम’ भवन, जो बुजुर्गों के लिए सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त सुरक्षित आवास उपलब्ध कराएगा।
इस 6 मंजिला भवन में 32 फ्लैट, धार्मिक पुस्तकालय, टीवी, माइक्रोवेव, फ्रिज, लिफ्ट, कॉल सर्विस पर भोजन जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। “संयुक्त परिवार में बुजुर्ग घर की शोभा होते थे, लेकिन आज जीवन की आपाधापी में यह एक चुनौती बन गई है। ऐसे में स्नेह धाम एक संवेदनशील पहल है,” मुख्यमंत्री ने कहा।
कार्यक्रम में सांसद शंकर लालवानी, मंत्री तुलसीराम सिलावट और अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे।