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VIDEO: पीड़ित बना दोषी: अभय मिश्रा के फार्महाउस में मारपीट का मामला, प्रशासन पर गंभीर सवाल
Rewa, MP

रीवा जिले की राजनीति इन दिनों जिस नाम से सबसे अधिक शर्मसार हो रही है, वह है सेमरिया के कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा। एक गरीब मजदूर अभिषेक तिवारी को फार्महाउस में बंधक बनाकर बेरहमी से पीटे जाने का मामला अब सियासी रंग ले चुका है, और इस पूरी घटना ने पुलिस से लेकर प्रशासन तक की निष्पक्षता पर बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है।
विधायक अभय मिश्रा पर आरोप है कि उनके फार्महाउस पर मौजूद कर्मचारियों ने अभिषेक को करीब दो घंटे तक बांधकर पीटा, और यह सब विधायक की मौजूदगी में शुरू हुआ। चौंकाने वाली बात यह है कि विधायक खुद मीडिया के सामने यह स्वीकार कर चुके हैं कि मारपीट उनके आने के बाद शुरू हुई थी और उनके जाने के बाद भी चली।
FIR में विरोधाभास: झूठ कौन बोल रहा है?
घटना को लेकर विधायक और उनके कर्मचारी अशोक तिवारी के बयान आपस में मेल नहीं खाते।
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जहां FIR में स्थान 'ढेकहा तिराहा' बताया गया है, वहीं विधायक का बयान फार्महाउस पर मारपीट की पुष्टि करता है।
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ऐसे में साफ है कि या तो विधायक झूठ बोल रहे हैं या फिर FIR में जानबूझकर गलत लोकेशन दर्ज की गई है।
इसके अलावा, सवाल उठता है कि जब घटना चोरहटा थाना क्षेत्र की है, तो फिर FIR सिविल लाइन थाने में क्यों दर्ज की गई? क्या यह सबकुछ सोच-समझकर हुआ?
गंभीर धाराएं नदारद, पीड़ित के खिलाफ केस!
पीड़ित अभिषेक तिवारी ने आरोप लगाया है कि उसका मोबाइल छीना गया, उसे बंधक बनाया गया, और जानलेवा हमले किए गए। बावजूद इसके, पुलिस ने FIR में हत्या की कोशिश, अपहरण और डकैती जैसी गंभीर धाराएं शामिल नहीं कीं।
सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि पीड़ित के खिलाफ ही गैर-जमानती धाराओं में FIR दर्ज कर दी गई, और वह भी सिर्फ एक घंटे के भीतर। जबकि अभिषेक को खुद FIR दर्ज कराने में 30 घंटे लग गए।
क्या यह न्याय है या रसूखदारों का षड्यंत्र?
यह पूरा मामला तब सुर्खियों में आया जब विधायक ने अपने कर्मचारी से ही अभिषेक के खिलाफ FIR दर्ज करवाई, जिससे कि वह खुद को बचा सकें।
इस पूरे घटनाक्रम से जनता और सामाजिक संगठनों में आक्रोश है।
अब सवाल उठ रहे हैं—
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क्या पुलिस विधायक के दबाव में काम कर रही है?
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जब विधायक ने खुद मारपीट की बात मानी, तो थाने में तत्काल FIR क्यों नहीं हुई?
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क्या CM तक मामला पहुँचने के बाद ही पुलिस हरकत में आई?
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क्या न्याय सिर्फ रसूख और पैसे वालों के लिए है?
अब जनता का सवाल — “क्या न्याय मरा नहीं, मार दिया गया?”
रीवा की जनता अब न्याय व्यवस्था पर भरोसा खोती जा रही है। गरीब, मजदूर और पीड़ितों के साथ ऐसा दोहरा बर्ताव न्यायपालिका और लोकतंत्र की नींव को कमजोर करता है।
इस मामले में निष्पक्ष जांच और कठोर कार्रवाई की माँग लगातार उठ रही है।
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