- Hindi News
- टॉप न्यूज़
- मणिपुर में लोकतांत्रिक सरकार बहाली की मांग तेज, फिर भी बीजेपी क्यों है अनिश्चित?
मणिपुर में लोकतांत्रिक सरकार बहाली की मांग तेज, फिर भी बीजेपी क्यों है अनिश्चित?
Jagran Desk

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद से ही राज्य की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति अस्थिर बनी हुई है। बुधवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के 10 विधायकों ने राज्यपाल अजय भल्ला से मुलाकात कर 44 विधायकों के समर्थन का हवाला देते हुए सरकार गठन की मांग की। हालांकि, इस मांग के बावजूद बीजेपी नेतृत्व अभी सरकार बनाने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं दिख रहा है।
लंबे समय से जारी हिंसा के बीच लोकतांत्रिक बहाली की गुहार
मणिपुर में मई 2023 से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा चल रही है, जिसमें अब तक 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों विस्थापित हो चुके हैं। इसी हिंसा के बीच मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने फरवरी 2025 में इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया।
राज्य में जारी तनाव और अस्थिरता के कारण स्थानीय जनता लोकतांत्रिक सरकार की बहाली की मांग कर रही है। बुधवार को एनडीए के विधायकों ने राज्यपाल से मुलाकात कर बहुमत का भरोसा जताया।
बीजेपी की अनिश्चितता और स्थानीय परिस्थितियां
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि विधायकों का राज्यपाल से मिलना पार्टी की ओर से आधिकारिक पहल नहीं है, बल्कि यह स्थानीय विधायकों का निजी निर्णय है। पार्टी तब तक सरकार गठन की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाएगी जब तक पूरी तरह आश्वस्त नहीं हो जाती।
राज्य में हथियारबंद उपद्रवियों की मौजूदगी और मैतेई-कुकी समुदायों के बीच विश्वास बहाली के प्रयास जारी हैं। बीजेपी नेतृत्व शांति बहाली में पूर्ण सफलता के बिना राजनीतिक कदम उठाने के पक्ष में नहीं है।
विधायकों का दावा: 44 विधायकों का समर्थन
राज्यपाल से मिलने वाले विधायकों में 7 बीजेपी, 2 एनपीपी और 1 निर्दलीय विधायक शामिल हैं। इनमें से 9 विधायक मैतेई बहुल घाटी क्षेत्र से हैं। इन विधायकों ने दावा किया कि उनके पास 60 सदस्यीय विधानसभा के लगभग 75% यानी 44 विधायकों का समर्थन है। इसमें कुकी-जो समुदाय के 10 विधायक और कांग्रेस के 5 विधायक शामिल नहीं हैं। एक सीट रिक्त है।
भाजपा विधायक युमनाम राधेश्याम सिंह का बयान
युमनाम राधेश्याम सिंह ने कहा कि अभी मुख्यमंत्री पद के लिए किसी नाम का प्रस्ताव नहीं रखा गया है और यह फैसला केंद्र सरकार पर छोड़ दिया गया है। उनकी प्राथमिकता मणिपुर में लोकप्रिय और स्थिर सरकार की बहाली है।
पूर्व मुख्यमंत्री बीरेन सिंह का गुट फिलहाल चुप
पूर्व मुख्यमंत्री बीरेन सिंह और उनके करीबी विधायक इस प्रक्रिया में शामिल नहीं हैं। उनके सहयोगी एल. सुसिंद्रो मैतेई ने बताया कि इस घटना के बारे में उन्हें जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि आमतौर पर पार्टी विधायक दल का नेता ही सरकार गठन का दावा करता है।
आगे क्या?
29 अप्रैल को विधायकों के एक समूह ने प्रधानमंत्री कार्यालय और गृह मंत्रालय को पत्र भी लिखा था, जिसमें राष्ट्रपति शासन के बाद शांति बहाली में ठोस प्रगति न होने की बात कही गई थी। अब सबकी निगाहें केंद्र सरकार के फैसले और राज्यपाल की अनुशंसा पर टिकी हैं, जो मणिपुर की राजनीतिक दिशा तय करेगी।