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पूर्वोत्तर भारत के उज्ज्वल भविष्य की ओर कदम: राइजिंग नॉर्थ-ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट में 4.18 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव
Jagran Desk

देश के विकास पथ पर तेजी से अग्रसर हो रहे पूर्वोत्तर क्षेत्र को वैश्विक निवेश के नक्शे पर स्थापित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है।
राजधानी दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित राइजिंग नॉर्थ-ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट 2025 में देश और दुनिया के निवेशकों ने अभूतपूर्व उत्साह दिखाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समिट का उद्घाटन किया और इसे भारत के 'ईस्टर्न फ्रंट' की नई ऊर्जा बताया।
समिट के पहले दिन केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जानकारी दी कि सम्मेलन में अब तक 4.18 लाख करोड़ रुपये के मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MoU) और लेटर ऑफ इंटेंट (LoI) प्राप्त हुए हैं। सिंधिया ने इसे "संभावनाओं की पूंजी" करार देते हुए कहा कि बीते नौ महीनों में देशभर में आयोजित रोड शोज़ और संवाद कार्यक्रमों के माध्यम से यह उपलब्धि हासिल की गई है।
निवेश से बदलेगी उत्तर-पूर्व की तक़दीर
मंत्री सिंधिया ने कहा, "पूर्वोत्तर भारत को 2025 से 2035 तक एक नए ग्रोथ इंजन के रूप में विकसित किया जाएगा, जो 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।" उन्होंने इस परिवर्तन यात्रा में सभी हितधारकों से साथ मिलकर चलने का आह्वान किया और प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति को समिट के लिए प्रेरणादायक बताया।
पीएम मोदी का 'ईस्ट' मंत्र
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर को भारत का ‘विकास का अग्रणी क्षेत्र’ बताया और 'EAST' का नया अर्थ समझाया—Empowerment, Action, Strengthening और Transformation। उन्होंने कहा कि कभी जिसे सीमांत क्षेत्र कहा जाता था, आज वह राष्ट्र के विकास का केंद्र बिंदु बन चुका है।
उद्योग जगत का भी दिखा उत्साह
इस समिट में देश के शीर्ष उद्योगपति मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी समेत कई बड़े कॉर्पोरेट समूहों ने भाग लिया और क्षेत्र में निवेश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। प्रमुख उद्योग समूहों की ओर से लगभग 1.6 लाख करोड़ रुपये के निवेश की घोषणाएं की गईं।