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पशु सेवा की दिशा में सराहनीय कदम: आर. सी. प्लास्टो ने गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र को 17 लाख की दी सहायता, बनेगी अत्याधुनिक पशु एंबुलेंस
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नागपुर। सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत जल प्रबंधन क्षेत्र की अग्रणी कंपनी आर. सी. प्लास्टो टैंक्स एंड पाइप्स प्राइवेट लिमिटेड ने एक उल्लेखनीय पहल की है। कंपनी ने गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र को ₹17 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की है, जिससे मध्य भारत की पहली अत्याधुनिक पशु चिकित्सा एंबुलेंस सेवा शुरू की जाएगी। यह एंबुलेंस विशेष रूप से बीमार और घायल गोवंश को तुरंत चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के लिए तैयार की जा रही है।
यह सहयोग कंपनी की CSR नीति के अंतर्गत किया गया है। आर. सी. प्लास्टो के निदेशक श्री निलेश अग्रवाल ने यह चेक गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष श्री पद्मेश गुप्ता को सौंपा। इस अवसर पर संस्थान के CEO डॉ. मनोज तत्वदी और ट्रस्टी श्री अमित वाजपेयी भी उपस्थित रहे।
पशु चिकित्सा में क्रांति लाएगी यह एंबुलेंस
जानकारी के अनुसार, इस एंबुलेंस को अत्याधुनिक तकनीक से लैस किया जा रहा है, जिसमें आपातकालीन उपकरण, ऑक्सीजन सिलेंडर, प्राथमिक उपचार किट, दवाइयां और विशेष पशु चिकित्सक दल की सुविधा शामिल होगी। इतना ही नहीं, इसमें हाइड्रोलिक लिफ्ट की भी व्यवस्था रहेगी, जिससे गंभीर रूप से घायल गायों को सुरक्षित तरीके से उठाया और अस्पताल तक पहुंचाया जा सकेगा।
वर्तमान में दुर्घटनाग्रस्त या बीमार गोवंश को समय पर उपचार न मिलने से उनकी जान पर बन आती है। इस अत्याधुनिक एंबुलेंस से यह समस्या काफी हद तक कम हो सकेगी और पशु सेवा की दिशा में एक नया मापदंड स्थापित होगा।
मणियार समूह का निर्माण, हनुमान जयंती पर होगा लोकार्पण
इस एंबुलेंस का निर्माण गुजरात स्थित मणियार समूह द्वारा किया जा रहा है और इसका लोकार्पण 12 अप्रैल, हनुमान जयंती के दिन प्रस्तावित है। यह परियोजना न केवल गोसेवा को सशक्त बनाएगी, बल्कि पशुधन संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता भी बढ़ाएगी।
सामाजिक जिम्मेदारी का बेहतरीन उदाहरण
आर. सी. प्लास्टो, जो कि भारत में टैंक और पाइप निर्माण में विशिष्ट स्थान रखती है, पर्यावरण और समाज के हित में समय-समय पर ऐसी कई कल्याणकारी गतिविधियों में भाग लेती रही है। यह पशु सेवा का प्रकल्प उसी सामाजिक प्रतिबद्धता का एक सशक्त उदाहरण है।
यह पहल पशु प्रेमियों, पर्यावरण संरक्षणकर्ताओं और समाजसेवियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकती है। उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में अन्य संस्थाएं भी ऐसी सामाजिक ज़िम्मेदारियों को गंभीरता से लेंगी।