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भोपाल में महिला IAS के घर पर हमला: जेसीबी लेकर पहुंचे 40 गुंडे, अफसर बोलीं- चेयर लगाकर बाहर बैठे रहे
Bhopal, MP
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राजधानी भोपाल के दानिशकुंज कॉलोनी में शुक्रवार को एक सनसनीखेज घटना सामने आई, जब शिक्षा विभाग में उप सचिव और IAS अधिकारी मंजूषा राय के मकान पर करीब 40 लोगों की भीड़ जेसीबी मशीन के साथ पहुंच गई और मकान व बाउंड्रीवॉल को क्षतिग्रस्त कर दिया।
महिला अफसर का आरोप है कि यह हमला एक पुराने संपत्ति विवाद से जुड़ा है, जो वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन है।
“प्रॉपर्टी का विवाद है तो कोर्ट आइए, गुंडागर्दी क्यों?”
IAS मंजूषा राय ने कहा, “अगर प्रॉपर्टी से संबंधित कोई विवाद है, तो सिविल कोर्ट में जाएं। ये कौन सा कानून है जिसमें 40 गुंडे जेसीबी लेकर किसी के घर पहुंच जाते हैं?” उन्होंने बताया कि तोड़फोड़ के दौरान सीसीटीवी कैमरे तक तोड़ दिए गए और गुंडे बाहर चेयर लगाकर बैठ गए, जिससे घर में रहने वालों में भय का माहौल बन गया।
संपत्ति का विवाद: एग्रीमेंट से रजिस्ट्री तक की कहानी
महिला अफसर के मुताबिक, 2010 में उनके पति विक्रांत राय ने 41 लाख रुपए में उक्त डुप्लेक्स मकान का एग्रीमेंट किया था और बैंक खातों के माध्यम से भुगतान भी किया गया। लेकिन नामांतरण न होने के चलते रजिस्ट्री लंबित थी। इसी बीच मार्च 2025 में रंजना अहमद के पुत्र रिदित अरोड़ा ने गुपचुप तरीके से नामांतरण करा लिया और जून 2025 में मोना बटेजा के नाम संपत्ति की रजिस्ट्री कर दी।
महिला अफसर बोलीं - “दो बार नामांतरण आवेदन खारिज हुआ, फिर कैसे हो गई रजिस्ट्री?”
मंजूषा राय ने बताया कि 2021 में रिदित अरोड़ा द्वारा दो बार नामांतरण के आवेदन तहसील न्यायालय में दिए गए थे, जो दस्तावेजों के अभाव में खारिज हो चुके हैं। फिर अचानक मार्च में नामांतरण और जून में रजिस्ट्री कैसे हो गई, यह बड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि उनके पास भुगतान और निर्माण कार्य से जुड़े सभी वैध दस्तावेज मौजूद हैं।
पुलिस और प्रशासन पर भी उठे सवाल
महिला अफसर का आरोप है कि इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस से कोई सहयोग नहीं मिला। प्रशासनिक अधिकारियों के मौके पर पहुंचने के बावजूद जब वे चले गए, तब ही तोड़फोड़ की गई। मंजूषा राय ने मामले की शिकायत वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों और न्यायालय में भी की है।
मामला अभी भी न्यायालय में विचाराधीन
फिलहाल यह मामला कोलार एसडीएम कोर्ट और तहसीलदार न्यायालय में विचाराधीन है। अफसर ने संबंधित अधिकारियों से अनुरोध किया है कि जब तक मामला न्यायिक प्रक्रिया से तय नहीं होता, तब तक किसी प्रकार की जबरन कार्रवाई न की जाए।