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अल-फलाह की ‘सीक्रेट पार्किंग’ फर्जी निकली: मृत लोगों के नाम पर दस्तावेज़ बनाकर जमीन तरबिया फाउंडेशन को ट्रांसफर
Digital Desk
फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी द्वारा दिल्ली के मदनपुर खादर में स्थित कथित ‘सीक्रेट’ पार्किंग की जमीन फर्जी दस्तावेज़ों के माध्यम से तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन के नाम कराने का खुलासा प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी जांच में किया। यह खुलासा उसी रिपोर्ट की पुष्टि करता है, जिसमें बताया गया था कि 1972 से 1998 के बीच मर चुके 30 लोगों के जाली साइन और अंगूठे के निशान के आधार पर जमीन की GPA (जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी) तैयार की गई थी।
ED के अनुसार, 7 जनवरी 2004 को विनोद कुमार नाम के व्यक्ति को मृतकों का अटॉर्नी दिखाकर GPA तैयार की गई, जिसके आधार पर 2013 में खसरा नंबर 792 की 1.146 एकड़ जमीन सिर्फ 75 लाख रुपए में तरबिया फाउंडेशन को बेच दी गई। फाउंडेशन के चेयरमैन जवाद सिद्दीकी ही हैं, जिनकी 9 शेल कंपनियों के जरिए बड़े वित्तीय घोटाले का आरोप है।
स्थानीय लोगों ने भी पुष्टि की कि जगह पर अल-फलाह यूनिवर्सिटी की गाड़ियां खड़ी होती थीं और हाल ही में गेट पर लिखा नाम ब्लैक पेंट से मिटाया गया है। कई लोगों ने सुरक्षा कारणों से खुलकर बात करने से इनकार किया।
जमीन विवाद में कुलदीप सिंह बिधूड़ी और अन्य पीड़ितों ने बताया कि उनके परिवार के मृत रिश्तेदारों के नाम और साइन का फर्जी इस्तेमाल कर रजिस्ट्री कराई गई। पीड़ितों ने 2015 में शिकायतें दर्ज कराई थीं और धमकियों का भी आरोप लगाया। मामले में सिविल और क्रिमिनल दोनों केस साकेत कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित हैं।
ED ने जवाद सिद्दीकी को 18 नवंबर को गिरफ्तार किया था। जांच में सामने आया कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने 2018–2025 के बीच 415 करोड़ रु. की कमाई गलत मान्यता के आधार पर की।
दिल्ली के लाल किले के पास हुए हालिया कार ब्लास्ट मामले में भी यूनिवर्सिटी का नाम सामने आया है। इससे जुड़े 10 लोग लापता हैं और कई आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
