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पाकिस्तान को तय करना होगा भूगोल में रहना है या नहीं– सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी की सख्त चेतावनी
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भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्र के दौरे के दौरान पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान ने आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद नहीं किया तो भारत की अगली कार्रवाई पहले से कहीं अधिक कठोर होगी
भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है। राजस्थान के सीमावर्ती गांव 22 एमडी, घड़साना (अनूपगढ़) के दौरे के दौरान सेनाध्यक्ष ने कहा कि पाकिस्तान को अब यह सोचना पड़ेगा कि उसे इतिहास के भूगोल में रहना है या नहीं। उन्होंने साफ संकेत दिया कि यदि पाकिस्तान ने आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद नहीं किया, तो भारत की कार्रवाई पहले से कहीं अधिक कठोर होगी।
ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र
जनरल द्विवेदी ने अपने संबोधन में ऑपरेशन सिंदूर 1.0 का उल्लेख करते हुए बताया कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर बड़ी कार्रवाई की थी। इस दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान में 9 ठिकानों को ध्वस्त किया था, जिनमें 7 थल सेना और 2 वायु सेना द्वारा हिट किए गए। उन्होंने कहा कि उस समय भारत ने संयम दिखाते हुए केवल आतंकियों, उनके ट्रेनिंग कैंप और आकाओं को निशाना बनाया था, किसी निर्दोष या मिलिट्री टारगेट को नुकसान नहीं पहुंचाया गया।
सेनाध्यक्ष ने यह भी बताया कि भारत ने इस ऑपरेशन के सबूत पूरी दुनिया के सामने रखे, जिससे पाकिस्तान की ओर से किसी भी तरह की लीपापोती की संभावना खत्म हो गई।
ऑपरेशन सिंदूर 2.0 का संकेत
उन्होंने कहा कि भविष्य में अगर हालात बने तो भारत "ऑपरेशन सिंदूर 2.0" के तहत संयम नहीं रखेगा। इस बार कार्रवाई इतनी कड़ी होगी कि पाकिस्तान को यह सोचना पड़ेगा कि वह भूगोल और इतिहास में अपनी जगह बनाए रखना चाहता है या नहीं।
सम्मानित किए गए अधिकारी
इस अवसर पर थल सेनाध्यक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर 1.0 में उत्कृष्ट योगदान देने वाले सेना के तीन अधिकारियों—बीएसएफ की 140वीं बटालियन के कमांडेंट प्रभाकर सिंह, राजपूताना राइफल्स के मेजर रितेश कुमार और हवलदार मोहित गैरा—को विशेष रूप से सम्मानित किया।
राजनीतिक और प्रतीकात्मक महत्व
जनरल द्विवेदी ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर का नामकरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था और इसे महिलाओं को समर्पित किया गया था। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन की सफलता में सेना के साथ-साथ आम नागरिकों का भी अहम योगदान रहा है।