शिमला समझौता: सिर्फ दस्तावेज़ नहीं, दक्षिण एशिया की स्थिरता का जीवित सूत्र

Opinion by मानसी द्विवेदी

"सब खैरियत है, बस इंसाफ की आवाज़ बाकी है...
जिंदा हैं रिश्ते, बस वादों की शिनाख्त बाकी है..."

भारत-पाकिस्तान के इतिहास में यदि कोई समझौता स्थायी शांति, परस्पर संवाद और कूटनीतिक विवेक का प्रतिनिधि माना गया है, तो वह है शिमला समझौता। वर्ष 1971 के युद्ध के बाद यह संधि न केवल दो देशों को युद्धविराम की ओर ले गई, बल्कि एक ऐसे आधार की रचना की, जिस पर आने वाली पीढ़ियों के लिए शांति की आशा टिकी रही।

हाल ही में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ द्वारा शिमला समझौते को "मृत दस्तावेज़" कहकर नकार देना, केवल राजनीतिक अपरिपक्वता का संकेत नहीं है, बल्कि यह दक्षिण एशिया की शांति प्रक्रिया के मूल्यों पर सीधा आघात भी है। यह बयान उस आंतरिक विरोधाभास को उजागर करता है, जो वर्षों से पाकिस्तान की विदेश और सुरक्षा नीति में देखा गया है।

इतिहास की गवाही: शिमला की संधि कैसे बनी शांति का आधार

1971 का भारत-पाक युद्ध पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के दमन और जनसंहार के खिलाफ एक निर्णायक मोड़ था। भारत की निर्णायक भूमिका के बाद पाकिस्तान को करारी शिकस्त मिली और उसके 93,000 सैनिकों ने भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण किया। इस युद्ध के बाद 2 जुलाई 1972 को शिमला में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ।

इस समझौते की मूल भावना थी कि भारत और पाकिस्तान अपने सभी द्विपक्षीय विवादों को केवल बातचीत और शांतिपूर्ण माध्यम से हल करेंगे। किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्पष्ट रूप से नकारा गया और नियंत्रण रेखा (LoC) की पुष्टि भी इसमें शामिल थी।

हर संकट में बनी शांति की ढाल

हालांकि इसके बाद कई बार यह समझौता विवादों और आक्रोश की भेंट चढ़ा — 1999 में कारगिल युद्ध, 2008 में मुंबई हमला, 2019 में पुलवामा हमला और हाल ही में 2025 का पहलगाम हमला। इन सभी घटनाओं के बावजूद, शिमला समझौता एक ऐसा स्थायी दस्तावेज़ बना रहा जो बार-बार युद्ध के कगार पर खड़े रिश्तों को पीछे खींच लाया।

लेकिन ख्वाजा आसिफ का हालिया बयान एक बार फिर पाकिस्तान की दोहरी नीति को सामने लाता है। बयान के कुछ ही समय बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने सफाई देते हुए कहा कि वह अब भी शिमला समझौते की भावना का सम्मान करता है। यह विरोधाभास बताता है कि वहां विदेश नीति और रक्षा नीति में स्पष्ट समन्वय नहीं है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की विश्वसनीयता को कमजोर करता है।

राजनीतिक लाभ की सस्ती चालें या नीतिगत दिशाहीनता?

इस तरह के बयानों के पीछे अक्सर राजनीतिक लाभ छिपा होता है, लेकिन इनके दूरगामी प्रभाव अनदेखा नहीं किए जा सकते। यदि पाकिस्तान बार-बार शिमला समझौते को अपनी सुविधा के अनुसार अपनाता और ठुकराता है, तो इससे पूरे क्षेत्र की स्थिरता खतरे में पड़ सकती है।

शिमला समझौता कोई 'मृत दस्तावेज़' नहीं, बल्कि वह 'जीवित मूलमंत्र' है जिसने भारत-पाक रिश्तों को हमेशा एक नई शुरुआत का रास्ता दिखाया है।

एक सवाल और एक संदेश

क्या दक्षिण एशिया जैसे संवेदनशील क्षेत्र में कोई देश बार-बार अपने कूटनीतिक वादों से मुंह मोड़ सकता है? पाकिस्तान को अब यह समझने की जरूरत है कि भरोसा केवल कागज़ पर नहीं, नियत और निरंतरता से बनता है।

और अंत में, शिमला समझौते की आत्मा आज फिर यही कह रही है:

"चंद खोटे सिक्के जो कभी चले नहीं बाज़ार में,
वो भी आज मेरे किरदार में कमियां तलाशते हैं..."

.................................................................................

🔔 हमारे WhatsApp चैनल से जुड़ें!
ताज़ा खबरें, विशेष रिपोर्ट्स और अपडेट्स अब सीधे आपके WhatsApp पर!

👉 लिंक पर क्लिक करें और चैनल को फॉलो करें:
https://whatsapp.com/channel/0029VbATlF0KQuJB6tvUrN3V

📱 या फिर नीचे दिए गए QR कोड को स्कैन करें और जुड़ जाएं हमारे साथ।

qr

 
 

खबरें और भी हैं

जनकवि लक्ष्मण मस्तुरिया की जयंती पर ‘एक भाव, एक जुराव’ कार्यक्रम, भावुक हुए भूपेश बघेल और अनुज शर्मा

टाप न्यूज

जनकवि लक्ष्मण मस्तुरिया की जयंती पर ‘एक भाव, एक जुराव’ कार्यक्रम, भावुक हुए भूपेश बघेल और अनुज शर्मा

जनकवि स्व. लक्ष्मण मस्तुरिया की 76वीं जयंती के अवसर पर शनिवार को रायपुर प्रेस क्लब में एक विशेष कार्यक्रम ‘पुरखा...
छत्तीसगढ़ 
जनकवि लक्ष्मण मस्तुरिया की जयंती पर ‘एक भाव, एक जुराव’ कार्यक्रम, भावुक हुए भूपेश बघेल और अनुज शर्मा

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने की अरविंद नेताम से भेंट, संघ मुख्यालय में संबोधन को बताया प्रदेश का सम्मान

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शनिवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और समाजसेवी अरविंद नेताम से सौजन्य मुलाकात की। यह भेंट...
छत्तीसगढ़ 
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने की अरविंद नेताम से भेंट, संघ मुख्यालय में संबोधन को बताया प्रदेश का सम्मान

मुरैना में ब्रांड विवाद को लेकर फैक्ट्री में छापा: 280 टिन नकली सरसों तेल सीज, दिल्ली कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई

मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में नकली सरसों तेल की ब्रांडेड पैकिंग का मामला सामने आने के बाद दिल्ली की रोहिणी...
मध्य प्रदेश 
मुरैना में ब्रांड विवाद को लेकर फैक्ट्री में छापा: 280 टिन नकली सरसों तेल सीज, दिल्ली कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई

ब्यौहारी में होगा प्रदेश का सबसे बड़ा कोल महाकुंभ: CM डॉ. मोहन यादव होंगे मुख्य अतिथि, भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि पर आयोजन

मध्यप्रदेश के ब्यौहारी जनपद में 9 जून को कोल समाज के इतिहास का सबसे बड़ा आयोजन होने जा रहा है।...
मध्य प्रदेश 
ब्यौहारी में होगा प्रदेश का सबसे बड़ा कोल महाकुंभ: CM डॉ. मोहन यादव होंगे मुख्य अतिथि, भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि पर आयोजन

बिजनेस

11 साल में 27 करोड़ भारतीयों ने तोड़ी गरीबी की जंजीर: वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज 11 साल में 27 करोड़ भारतीयों ने तोड़ी गरीबी की जंजीर: वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज
वर्ल्ड बैंक की एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने बीते 11 वर्षों में अत्यधिक गरीबी के मोर्चे पर ऐतिहासिक...
ब्याज दरों में गिरावट के बीच ये 5 बैंक दे रहे हैं FD पर सबसे ज्यादा रिटर्न, देखें पूरी लिस्ट
अब होम लोन पर बड़ी बचत का मौका! 1% ब्याज दर घटने से 30 लाख के लोन पर बचेंगे 4.63 लाख रुपये
RBI के ऐलान से झूमा शेयर बाजार: सेंसेक्स 783 और निफ्टी 268 अंक चढ़े, रियल्टी-बैंकिंग-ऑटो सेक्टर में उछाल
प्रॉक्टर एंड गैंबल करेगी 7,000 नौकरियों की कटौती, कुछ बाजारों में बंद होंगी उत्पादों की बिक्री
Copyright (c) Dainik Jagran All Rights Reserved.
Powered By Vedanta Software