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चाय दिवस पर विशेष: चाय की खुशबू में बसा भोपाल का इतिहास और स्वाद
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भारत में चाय सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि संस्कृति है – एक ऐसा ज़रिया जो अनजान लोगों को भी एक कप के इर्द-गिर्द दोस्त बना देता है। और अगर बात हो भोपाल की, तो यहां चाय सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि परंपरा, विरासत और आत्मा से जुड़ी हुई है। चाय दिवस पर आइए आपको लिए चलते हैं भोपाल की उन गलियों में, जहां चाय के हर घूंट में बसी है एक कहानी।
सुलेमानी चाय: भोपाल की रियासती चुस्की
भोपाल की पुरानी गलियों में बसी सुलेमानी टी स्टॉल सिर्फ एक दुकान नहीं, बल्कि सौ साल पुराना इतिहास है। इसके मालिक बड़े गर्व से बताते हैं कि यह दुकान उनके परदादा के जमाने की है। उस दौर में जब भोपाल में बिजली नहीं थी, तब भी नवाब यहां की चाय पीने आया करते थे।
चौथी पीढ़ी इस चाय स्टॉल को चला रही है। कभी 10 पैसे में बिकने वाली यह चाय अब 7 रुपये में मिलती है . इस चाय की खासियत है इसका तरीका — पहले पानी में चायपत्ती, शक्कर और खड़ा नमक मिलाकर एक घंटे तक उबालते हैं, फिर सर्व करते समय ऊपर से दूध डाला जाता है। माना जाता है कि इसकी रेसिपी तुर्की से बेगम सिकंदर लाई थीं और इसे स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है।
राजू टी स्टॉल: चाय और चर्चाओं की मंडली
भोपाल के चाय प्रेमियों के लिए राजू टी स्टॉल एक मशहूर अड्डा है। वर्ष 1990 में एक छोटी सी गुमटी से शुरू हुए इस स्टॉल के मालिक फरीद आज एक बड़ी टीम के साथ इसे संभालते हैं। यहां सुबह से लेकर देर रात तक ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है जो चाय की चुस्कियों के साथ बॉलीवुड, राजनीति और शहर की खबरों पर चर्चा करते हैं।
एक बार आरबीआई के गवर्नर बिमल जालान भी यहां चाय पीने आए और चाय के स्वाद से इतने प्रभावित हुए कि फरीद को अपने ऑटोग्राफ वाला ₹100 का नोट उपहार में दे गए।
आज यहां चाय के साथ-साथ समोसा, कचौरी, पोहा, मंगोड़े, लौकी का हलवा जैसे नाश्ते भी मिलते हैं। खास बात यह कि यहां की चाय में सिर्फ दूध का इस्तेमाल होता है – बिना एक बूंद पानी के।
हांडी वाली चाय: परंपरा की महक
भोपाल की एक और अनोखी पेशकश है हांडी वाली चाय, जिसे मदन सिंह ने शुरू किया। पहले चाय मसाला और चायपत्ती का काम करने वाले मदन ने देखा कि भोपाल में हांडी में बनी चाय मिलना दुर्लभ है। फिर उन्होंने खुद इस पारंपरिक विधि को अपनाया और आज उनके बनाए स्वाद की खूब चर्चा है। मिट्टी की हांडी में बनी चाय का स्वाद, खुशबू और गर्माहट लोगों को पुराने समय की याद दिला देती है।
इंडियन टी हाउस (ITH): झील के किनारे चाय का सुख
अगर आप चाय के साथ दृश्य भी चाहते हैं, तो गौहर महल के पीछे स्थित इंडियन टी हाउस पर एक बार जरूर जाएं। झील किनारे बैठकर ज़ाफरानी और मोरक्कन चाय के साथ मसालेदार मैगी का स्वाद लेना किसी सुकून भरे अनुभव से कम नहीं है। एक तरफ झील की चमक, तो दूसरी ओर इकबाल मैदान और शौकत महल की ऐतिहासिक छटा — यह दृश्य चाय को और भी खास बना देता है।
चाय सुट्टा बार: फ्लेवर का फ्यूजन
भोपाल के बोट क्लब क्षेत्र में स्थित चाय सुट्टा बार आज के युवाओं की पहली पसंद बन चुका है। यहां पान और चॉकलेट फ्लेवर वाली चाय से लेकर अनेक प्रयोगात्मक स्वाद उपलब्ध हैं। पर्यटक हों या लोकल निवासी, यहां की दीवारों पर लिखे चाय कोट्स और अनोखे फ्लेवर उन्हें बार-बार खींच लाते हैं।
चाय से जुड़ी यादों का शहर
चाय दिवस पर भोपाल की यह यात्रा हमें यह एहसास दिलाती है कि चाय महज़ एक पेय नहीं, यह लोगों को जोड़ने वाली एक भावना है। चाहे वह गुड्डू भाई की सुलेमानी चाय हो, फरीद की दूध वाली चाय, मदन सिंह की हांडी चाय, या फिर इंडियन टी हाउस और चाय सुट्टा बार की आधुनिक पेशकश – भोपाल में हर कप में एक कहानी है, एक रिश्ता है।
इस बार जब चाय पीएं, तो याद रखें – भोपाल की गलियों में चाय की चुस्कियों ने इतिहास भी रचा है और दिल भी जोड़े हैं।