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पश्चिमी राजस्थान: लोकसंस्कृति, सीमावर्ती सजगता और पर्यटन का अद्वितीय संगम
JAIPUR, JAGRAN DESK

जब बात भारतीय सांस्कृतिक धरोहर, रंगीन लोकजीवन और मरुस्थली सौंदर्य की आती है, तो पश्चिमी राजस्थान का नाम सबसे पहले आता है। जैसलमेर की सुनहरी रेत, बीकानेर की कलात्मक हवेलियां, जोधपुर का नीला शहर और बाड़मेर की सजीव लोकधुनें—यह क्षेत्र सिर्फ भूगोल नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा का जीवंत प्रतिबिंब है।
सुरक्षित सीमाएं, सजग समाज: पर्यटन की बुनियादी शक्ति
राजस्थान ने हाल के वर्षों में यह साबित किया है कि पर्यटन के लिए सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य ही नहीं, बल्कि सुरक्षा और स्थिरता भी अहम हैं। जब देश में कोविड-19 के कारण आईपीएल जैसे आयोजन स्थगित हो गए थे, तब परिस्थितियों में सुधार होते ही राजस्थान को तीन महत्वपूर्ण मैचों की मेजबानी सौंपी गई। यह राज्य की सजगता और सुरक्षा का प्रमाण है, जिससे पर्यटकों में विश्वास पैदा होता है।
पश्चिमी जिलों की सांस्कृतिक चमक: जहां परंपरा मिलती है पर्यटन से
पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक दलीप सिंह राठौड़ के अनुसार, जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर और बीकानेर जिले सांस्कृतिक पर्यटन की रीढ़ हैं। यहां के सालावास, पोखरण, फलौदी, शिव जैसे ग्रामीण इलाके राजस्थान के लोकजीवन की जीवंत तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। न केवल स्थापत्य और प्राकृतिक दृश्य, बल्कि यहां के लोककलाकार, हस्तशिल्प, और उत्सव भी सैलानियों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
2024 के आँकड़े दर्शाते हैं लोकप्रियता की ऊँचाई:
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जोधपुर (शहर): 25,06,560 देशी और 2,03,945 विदेशी पर्यटक
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जोधपुर (ग्रामीण): 4,76,150 देशी और 3,545 विदेशी
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जैसलमेर: 2,24,16,810 देशी और 1,61,884 विदेशी
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बाड़मेर: 34,65,028 देशी और 249 विदेशी
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बीकानेर: 63,54,899 देशी और 71,079 विदेशी
ये आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि यह क्षेत्र सिर्फ भारतीय ही नहीं, बल्कि वैश्विक पर्यटकों के लिए भी बेहद आकर्षक है।
रेत, रंग और राग: थार की सांस्कृतिक विरासत
यह इलाका लंगा, मांगणियार और मीर समुदाय जैसे विश्वप्रसिद्ध लोक कलाकारों का घर है। कालबेलिया नृत्य, कठपुतली कला, दरी बुनाई, मिट्टी कला, चमड़े की कारीगरी और उस्ता कला यहाँ की सांस्कृतिक पहचान हैं। कालबेलिया नृत्य को यूनेस्को ने “मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर” के रूप में मान्यता दी है, जो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक महत्ता को वैश्विक पटल पर स्थापित करता है।
सरकारी पहल: यूनेस्को के साथ सांस्कृतिक साझेदारी
राज्य सरकार ने यूनेस्को के सहयोग से जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर और बीकानेर में 10 ग्रामीण पर्यटन स्थलों को विकसित करने का निर्णय लिया है। इस पहल से लगभग 1500 पारंपरिक कलाकारों को आजीविका से जोड़ा गया है, जिससे एक ओर संस्कृति का संवर्धन हो रहा है और दूसरी ओर स्थानीय आर्थिक ढांचा भी सशक्त हो रहा है।
हर मौसम, हर रंग: राजस्थान के 38 मेले और उत्सव
राजस्थान सरकार साल भर 38 प्रमुख पारंपरिक मेलों और उत्सवों का आयोजन करती है। चाहे वह पुष्कर मेला हो या डेजर्ट फेस्टिवल, तीज हो या गणगौर—हर आयोजन पर्यटकों को संस्कृति की जीवंत अनुभूति कराता है।
सीमा पर संस्कृति की मशाल
पश्चिमी राजस्थान केवल भारत की सीमाओं का प्रहरी नहीं है, बल्कि यह देश की सांस्कृतिक आत्मा का अमूल्य वाहक भी है। यहाँ की मिट्टी, हवा और लोग एक ऐसी ऊर्जा से भरपूर हैं, जो हर आगंतुक को अपनेपन का अहसास कराते हैं।