भू-जल संवर्धन मिशन कार्यशाला: डिप्टी सीएम अरुण साव का संदेश – "जल को संसाधन नहीं, संस्कार मानें"

Raipur, CG

छत्तीसगढ़ में जल संरक्षण को लेकर जागरूकता और सहभागिता बढ़ाने के उद्देश्य से पंडित दीनदयाल उपाध्याय भू-जल संवर्धन मिशन (शहरी) की कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डिप्टी सीएम और नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव ने प्रेरक विचार रखते हुए कहा कि "जल को केवल संसाधन नहीं, बल्कि संस्कार के रूप में देखने की जरूरत है।"

प्राचीन परंपराओं से सीखने की जरूरत: अरुण साव

रायपुर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित इस कार्यशाला में उप मुख्यमंत्री ने पीपीटी के माध्यम से जल संरक्षण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वर्तमान में इसकी आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए जल को बचाकर रखना हमारा सामाजिक दायित्व है।

हमारे पूर्वजों ने तालाब, कुएं, बावड़ियां बनाकर जल को संरक्षित किया, लेकिन हमने उन्हें तो सहेजा और ही संवारा,” – अरुण साव

जनसहभागिता से बनेगा जल संरक्षण अभियान सफल

डिप्टी सीएम साव ने कहा कि इस अभियान की सफलता के लिए हर शहरवासी की भागीदारी जरूरी है। जल संकट सिर्फ प्रशासन की चुनौती नहीं, बल्कि यह समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। कार्यशाला में उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार मिशन मोड में जल प्रबंधन पर काम कर रही है।

वाटरमैन राजेन्द्र सिंह ने दिया राष्ट्रीय दृष्टिकोण

कार्यशाला में भारत के वाटरमैन के नाम से मशहूर राजेन्द्र सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने शहरी जल पुनर्भरण को मिशन के रूप में लिया है। उन्होंने कहा,

हम जितना जल निकाल रहे हैं, उतना रिचार्ज नहीं कर रहे। यह असंतुलन हमें संकट की ओर ले जा रहा है।”

उन्होंने जल-साक्षरता अभियान, शिक्षा पाठ्यक्रम में जल-चर्चा और शहरों में वॉटर बॉडीज़ की पहचान और अधिसूचना की आवश्यकता पर भी बल दिया।

विशेषज्ञों ने दिए तकनीकी सुझाव

  • भू-वैज्ञानिक डॉ. विपिन दुबे ने रायपुर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की क्षमता और लाभ बताए।

  • डॉ. के. पाणिग्रही ने कहा कि यदि हम सिर्फ 30% वर्षा जल को संरक्षित कर लें, तो रायपुर में जल संकट नहीं रहेगा।

  • सूरत म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के इंजीनियरों ने गुजरात में हो रहे नवाचारों को साझा किया, जिसमें लेक रिवाइवल, रिसायकल वॉटर यूज़ और सीवेज ट्रीटमेंट जैसे प्रयास शामिल हैं।

सभी विभागों का साझा संकल्प

कार्यशाला में नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ वन विभाग, जल संसाधन, पीएचई, लोक निर्माण, और वाणिज्यिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी जल संरक्षण के लिए अपने-अपने प्रयास साझा किए।
राज्य शहरी विकास अभिकरण (SUDA) के नेतृत्व में सभी नगर निगमों के महापौर, सभापति, आयुक्त, और नगर पालिकाओं के अधिकारी बड़ी संख्या में शामिल हुए।

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