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भोपाल के ऑटो ड्राइवर ने दी नई जिंदगी: तीन लोगों को अंगदान से मिला जीवन, गार्ड ऑफ ऑनर के साथ हुई विदाई
Bhopal, MP
रविवार तड़के भोपाल एम्स में एक ऐसी कहानी लिखी गई, जिसमें एक युवक की मौत ने तीन लोगों को नई जिंदगी दी।
37 वर्षीय ऑटो चालक की ब्रेन डेड घोषित होने के बाद परिवार ने उसके दिल और दोनों किडनियां दान करने का फैसला लिया। सुबह चार बजे तीन ऑपरेशन थिएटरों में एक साथ यह भावनात्मक और जटिल प्रक्रिया शुरू हुई।
एक ओटी में डॉक्टरों ने युवक के शरीर से दिल और किडनियां निकालीं, वहीं दूसरे में इन्हीं अंगों से किसी की धड़कन और किसी की उम्मीद फिर से चल पड़ी। अब उसी युवक का दिल 40 वर्षीय महिला के सीने में धड़क रहा है, जबकि दोनों किडनियां अलग-अलग मरीजों को नई जिंदगी दे रही हैं। एक किडनी एम्स में प्रत्यारोपित हुई और दूसरी को बंसल अस्पताल भेजा गया, जिसके लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया।
भाई बोला – "भाई नहीं बचा, पर तीन जिंदगी बचा गया"
अंगदाता के भाई भारत पाटिल ने बताया, “भाई नींद में बिस्तर से गिर गया था, सिर पर गहरी चोट लगी। डॉक्टरों ने इलाज के बाद ब्रेन डेड घोषित किया। हमने सोचा, वो भले लौट नहीं सकता, पर उसकी धड़कन किसी और के जीवन में धड़कती रहे।”
भारत ने सरकार से मदद की उम्मीद जताई है क्योंकि मृतक के पीछे पत्नी और दो छोटी बेटियां हैं।
अंगदाता को दी गई गार्ड ऑफ ऑनर के साथ विदाई
एम्स में अंगदान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अंगदाता को सम्मानपूर्वक गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। डॉक्टरों और कर्मचारियों ने पुष्प अर्पित कर अंतिम विदाई दी।
एम्स में पहली बार एक साथ हार्ट और किडनी ट्रांसप्लांट
एक ही दिन में एम्स भोपाल के दो ऑपरेशन थिएटरों में हार्ट और किडनी ट्रांसप्लांट की दो बड़ी सर्जरी हुईं। जिन मरीजों को ये अंग मिले, उनकी हालत अब स्थिर बताई जा रही है। राज्य सरकार ने हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए मरीज को 5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी है।
कानूनी और चिकित्सकीय प्रक्रिया पूरी होने के बाद घोषित हुआ ब्रेन डेड
डॉक्टरों की चार सदस्यीय टीम ने करीब छह घंटे के अंतराल पर दो बार जांच की। सभी रिफ्लेक्स अनुपस्थित पाए गए और एपनिया टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद युवक को शनिवार देर शाम ब्रेन डेड घोषित किया गया।
एम्स प्रशासन ने कहा – सरकार की संवेदनशील पहल
एम्स के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. विकास गुप्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री मोहन यादव की घोषणा के अनुसार प्रत्येक अंगदाता को गार्ड ऑफ ऑनर और जरूरतमंद परिवार को सहायता प्रदान की जा रही है। “यह ट्रांसप्लांट पूरी तरह सफल रहा,” उन्होंने कहा।
भोपाल में अंगदान की रफ्तार बढ़ी, पर देश में अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी
एम्स और हमीदिया जैसे सरकारी अस्पतालों में पिछले वर्ष 21 किडनी ट्रांसप्लांट हुए हैं, जिनमें से 3 ब्रेन डेड डोनर से हुए। वहीं, निजी क्षेत्र में बंसल अस्पताल अब तक 400 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट कर चुका है।
हालांकि, अंगदान के मामले में मध्यप्रदेश अभी भी शुरुआती दौर में है। SOTTO की कंवीनर डॉ. कविता कुमार का कहना है, “लोगों में जागरूकता बढ़ेगी तो अंगदान का ग्राफ अपने आप ऊपर जाएगा। सरकार इस दिशा में तेजी से काम कर रही है।”
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