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चक्रवात ‘मोंथा’ का खतरा बढ़ा: बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में सिस्टम सक्रिय, भारतीय सेना हाई अलर्ट पर
Digital Desk
बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के ऊपर दो सक्रिय दबाव क्षेत्रों के बनते ही भारतीय सेना को अलर्ट मोड पर रखा गया है।
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले 48 घंटों के भीतर ये सिस्टम मिलकर ‘चक्रवात मोंथा’ का रूप ले सकते हैं। सेना ने इस स्थिति से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और तटीय राज्यों की सरकारों के साथ समन्वय बढ़ा दिया है।
भारतीय सेना के प्रवक्ता ने कहा कि— “हर स्थिति के लिए हमारी टीमें तैयार हैं। राहत और बचाव कार्यों के लिए तटीय इलाकों में विशेष यूनिट्स तैनात की जा रही हैं। सेना पूरी तरह NDMA और राज्य प्रशासन के साथ तालमेल में काम कर रही है।”
आंध्र तट की ओर बढ़ सकता है ‘मोंथा’
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी में बना दबाव सोमवार सुबह तक चक्रवात में तब्दील हो सकता है और 28 अक्टूबर की शाम या रात तक यह एक गंभीर चक्रवाती तूफान के रूप में आंध्र प्रदेश तट को पार कर सकता है। सिस्टम के धीरे-धीरे उत्तर-पश्चिम दिशा में बढ़ने की संभावना है।
कई राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी
इस संभावित चक्रवात के कारण आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, गोवा, कोंकण, गुजरात और केरल के तटीय इलाकों में भारी बारिश और तेज़ हवाओं की संभावना जताई गई है। वहीं मछुआरों को अगले कुछ दिनों तक समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है।
दबाव तेजी से बढ़ रहा पश्चिम की ओर
बंगाल की खाड़ी पर बना दबाव करीब 7 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पश्चिम की ओर बढ़ रहा है। यह फिलहाल पोर्ट ब्लेयर से लगभग 460 किमी, चेन्नई से 950 किमी, विशाखापत्तनम से 960 किमी और गोपालपुर से 1030 किमी दूर स्थित है। IMD के अनुसार, यह सिस्टम 26 अक्टूबर तक गहरे दबाव, 27 अक्टूबर की सुबह तक चक्रवाती तूफान और 28 अक्टूबर की सुबह तक गंभीर चक्रवाती तूफान में तब्दील हो सकता है।
सेना और एजेंसियां अलर्ट पर
भारतीय नौसेना, वायुसेना और तटरक्षक बल को भी सतर्क किया गया है। सभी तटीय ऑपरेशनल यूनिट्स को तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं। राहत सामग्री, नावें, हैलीकॉप्टर और संचार व्यवस्था की समीक्षा कर ली गई है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि “मोंथा” इस साल का अब तक का सबसे खतरनाक चक्रवात साबित हो सकता है, जिसका असर दक्षिण-पूर्व से लेकर पश्चिमी तटीय राज्यों तक महसूस किया जा सकता है।
