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MP की पहली हिंदू AIMIM पार्षद अरुणा उपाध्याय ने पार्टी छोड़ी, ओवैसी को भेजा इस्तीफा
Khargone, MP

मध्यप्रदेश की राजनीति में चौंकाने वाला मोड़ सामने आया है। खरगोन नगर पालिका के वार्ड क्रमांक-2 से निर्वाचित AIMIM की पहली हिंदू पार्षद अरुणा उपाध्याय ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
उन्होंने अपना त्यागपत्र सीधे पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को हैदराबाद कार्यालय भेजा है।
अरुणा ने अपने त्यागपत्र में ‘निजी कारणों’ का हवाला देते हुए पार्टी की कोर कमेटी और सदस्यता से अलग होने की घोषणा की। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वे पार्षद पद पर स्वतंत्र रूप से दायित्वों का निर्वहन करती रहेंगी।
सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट
इस्तीफा देने के कुछ ही देर बाद अरुणा ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट साझा की। इसमें उन्होंने लिखा—
"मुझमें हर वह चीज़ त्यागने की हिम्मत है, जिसकी कीमत मेरे आत्मसम्मान से बड़ी है।"
यह पोस्ट अब चर्चा का केंद्र बन चुका है और अरुणा के इस कदम को राजनीतिक के बजाय व्यक्तिगत स्वाभिमान से जुड़ा माना जा रहा है।
AIMIM से जीतने वाली प्रदेश की पहली हिंदू पार्षद
2022 के निकाय चुनाव में AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) ने मध्यप्रदेश में पहली बार किसी हिंदू उम्मीदवार को मैदान में उतारा था। अरुणा उपाध्याय ने 643 वोट पाकर भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों को हराया था। यह वार्ड मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, जहां लगभग 70% आबादी मुस्लिम है।
अरुणा प्रदेश में AIMIM की कुल 4 पार्षदों में से एक थीं। उनकी जीत को पार्टी ने ‘सांप्रदायिक सद्भाव’ की मिसाल बताया था।
पति पर लगाए थे गंभीर आरोप
इस्तीफे से करीब पंद्रह दिन पहले अरुणा ने अपने पति श्यामलाल उपाध्याय के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में उन्होंने जान से मारने की धमकी देने और वार्ड के विकास कार्यों में बाधा डालने का आरोप लगाया था।
मामला खरगोन एसपी कार्यालय तक पहुंचा और पुलिस ने जांच शुरू कर दी थी। माना जा रहा है कि यह पारिवारिक तनाव भी उनके निर्णय का प्रमुख कारण रहा है।
अब राजनीतिक भविष्य पर अटकलें
अरुणा उपाध्याय के इस कदम के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि वे आगे किस पार्टी से जुड़ेंगी। उनकी लोकप्रियता को देखते हुए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों की नजरें उन पर हैं। हालांकि, अभी तक उन्होंने किसी पार्टी में शामिल होने का संकेत नहीं दिया है।
खरगोन की राजनीति में उठा बड़ा सवाल
अरुणा का पार्टी छोड़ना AIMIM के लिए भी झटका माना जा रहा है, जिसने पहली बार हिंदू चेहरे को मैदान में उतारकर जीत हासिल की थी। पार्टी की छवि और रणनीति पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, खासकर ऐसे समय में जब AIMIM देशभर में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही है।