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मासूम से दुष्कर्म के दोषी की फांसी हाईकोर्ट ने बदली 25 साल की सजा में, कहा- आरोपी अनपढ़ और आदिवासी पृष्ठभूमि का है
Jabalpur, MP
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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 4 वर्षीय मासूम बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के प्रयास के मामले में फांसी की सजा पाए युवक की सजा को बदल दिया है। जबलपुर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने फैसले में कहा कि आरोपी आदिवासी है, निरक्षर है और उसे उचित शिक्षा या सामाजिक मार्गदर्शन नहीं मिला। अदालत ने इसे ध्यान में रखते हुए फांसी की सजा को 25 साल के कठोर कारावास में बदल दिया है।
मामला: दिवाली पर फूफा के घर आई थी मासूम, रात में हुआ अपहरण
घटना अक्टूबर 2022 की है, जब पंधाना क्षेत्र में रहने वाली 4 वर्षीय बच्ची दिवाली मनाने अपने फूफा के घर आई थी। बच्ची झोपड़ी में सो रही थी, तभी आरोपी राजकुमार उसे उठाकर खेत के पीछे ले गया, उसके साथ दुष्कर्म किया और फिर गला घोंटकर उसे मृत समझकर झाड़ियों में फेंक दिया।
डीएनए और मेडिकल ने दिलाए सख्त सबूत
बच्ची मरणासन्न हालत में अगले दिन झाड़ियों में मिली। इलाज के लिए उसे खंडवा और फिर इंदौर ले जाया गया, जहां उसका लंबा इलाज चला। पुलिस ने आरोपी को 24 घंटे में गिरफ्तार कर लिया और डीएनए परीक्षण ने उसकी संलिप्तता की पुष्टि की। अभियोजन ने मेडिकल रिपोर्ट, नाखूनों के निशान और घटनास्थल की लोकेशन समेत कई पुख्ता सबूत पेश किए।
हाईकोर्ट का विचार: सामाजिक पृष्ठभूमि बनी सजा कम करने का आधार
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी 20 वर्ष का है, आदिवासी समुदाय से आता है, अशिक्षित है और बाल्यावस्था में ही काम पर लग गया था। सामाजिक उपेक्षा और खराब संगत के चलते उसने यह अपराध किया। कोर्ट ने यह भी कहा कि अपराध घिनौना है, लेकिन फांसी हर स्थिति में न्याय का उपाय नहीं हो सकती।
ट्रायल कोर्ट ने सुनाई थी फांसी
खंडवा कोर्ट ने अप्रैल 2023 में राजकुमार को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। बचाव पक्ष ने हाईकोर्ट में अपील की, जहां अब सजा में बदलाव हुआ है।