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दिल्ली हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: उत्पीड़न केस में डिजिटल सबूतों को संरक्षित रखने का आदेश
Jagran Desk

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अत्यंत संवेदनशील मामले में अहम निर्णय सुनाते हुए, वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एचजीएस धालीवाल और अन्य से जुड़े डिजिटल सबूतों को संरक्षित रखने का निर्देश दिया है।
यह आदेश आईएएस अधिकारी गरिमा गुप्ता द्वारा दर्ज याचिका पर सुनवाई के बाद पारित किया गया।
15 जुलाई को सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति स्वर्णा कांत शर्मा ने स्पष्ट किया कि यह आदेश अंतरिम और एहतियाती कदम के तौर पर जारी किया जा रहा है ताकि केस से जुड़े कोई महत्वपूर्ण डिजिटल साक्ष्य नष्ट न हो जाएं। अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 30 अक्टूबर 2025 तय की है।
क्या है मामला?
आईएएस गरिमा गुप्ता ने याचिका में आरोप लगाया कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने उन्हें व्हाट्सएप के माध्यम से धमकाया, पीछा किया और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। उस समय वे दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग में सचिव पद पर कार्यरत थीं। प्रारंभ में उन्होंने सुरक्षा कारणों से आरोपी का नाम उजागर नहीं किया, लेकिन बाद में सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत दर्ज बयान में उन्होंने नाम स्पष्ट किया।
कोर्ट ने क्यों दिया यह आदेश?
हाई कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि टेलीकॉम कंपनियां आमतौर पर कॉल डिटेल्स और इंटरनेट डेटा दो वर्ष तक ही सहेज कर रखती हैं, जिसके बाद ये हमेशा के लिए मिट सकते हैं। इसलिए, जुलाई 2023 से सितंबर 2023 तक की आईपीडीआर, सीडीआर, टावर लोकेशन, मोबाइल/लैंडलाइन यूज़ लॉग और वाई-फाई डेटा को संरक्षित करना अत्यंत आवश्यक है।
यह डेटा एचजीएस धालीवाल, डीएएनआईपीएस अधिकारी दीपक यादव और जांच अधिकारी रश्मि शर्मा यादव से संबंधित है। कोर्ट ने राज्य सरकार को इन रिकॉर्ड्स को तत्काल होल्ड करने के आदेश दिए हैं।
व्हाट्सएप चैट से नए सवाल
गरिमा गुप्ता द्वारा अदालत को 28 जुलाई 2023 की एक व्हाट्सएप चैट सौंपी गई, जो कथित रूप से दीपक यादव की है। इसमें जांच अधिकारी और आरोपी के बीच संभावित सांठगांठ की आशंका जताई गई है। अदालत ने इस साक्ष्य को गंभीरता से लेने की बात कही है।
आपसी सुलह की सलाह
25 जुलाई 2025 को हुई पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को आपसी बातचीत से समाधान निकालने की सलाह दी। जज ने कहा कि दोनों ही पक्ष प्रतिष्ठित अधिकारी हैं और इस विवाद का शांतिपूर्ण हल निकालना चाहिए, जिससे लंबी कानूनी प्रक्रिया और मानसिक तनाव से बचा जा सके।
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