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राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए नामित किए चार नए सदस्य: उज्ज्वल निकम, मीनाक्षी जैन, हर्षवर्धन श्रृंगला और सी. सदानंदन को मिला स्थान
Jagran Desk

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए चार नए सदस्यों को नामित किया है, जिनमें विख्यात वकील उज्ज्वल निकम, इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और केरल के समाजसेवी सी. सदानंदन मास्टर शामिल हैं।
यह मनोनयन संविधान के अनुच्छेद 80(3) के अंतर्गत किया गया है, जिसके तहत राष्ट्रपति विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को राज्यसभा में नामित कर सकती हैं।
उज्ज्वल निकम: आतंकवाद विरोधी मुकदमों के अनुभवी वकील
उज्ज्वल निकम का नाम देश के शीर्ष सरकारी वकीलों में गिना जाता है। उन्होंने 26/11 मुंबई आतंकी हमला, प्रेमप्रसंग में हुई मनीषा बैनर्जी हत्याकांड, अहमदनगर के कोपर्डी गैंगरेप, और प्रोफेसर साबे की हत्या जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों में अभियोजन पक्ष का नेतृत्व किया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में वे भाजपा के टिकट पर भी मैदान में उतर चुके हैं।
मीनाक्षी जैन: भारतीय इतिहास की पुनर्व्याख्या करने वाली प्रख्यात लेखिका
डॉ. मीनाक्षी जैन, एक वरिष्ठ इतिहासकार और शिक्षाविद हैं। उन्होंने भारत के धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास पर कई चर्चित पुस्तकें लिखी हैं। राम मंदिर आंदोलन, जाति व्यवस्था, भारतीय समाज की ऐतिहासिक व्याख्या जैसे विषयों पर उनके शोध ने उन्हें एक सशक्त अकादमिक पहचान दिलाई है।
हर्षवर्धन श्रृंगला: विदेश नीति के ज्ञाता
हर्षवर्धन श्रृंगला, भारतीय विदेश सेवा (IFS) के पूर्व अधिकारी हैं। वे भारत के विदेश सचिव, अमेरिका में राजदूत और संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि जैसे महत्वपूर्ण कूटनीतिक पदों पर रह चुके हैं। वे सरकार की रणनीतिक विदेश नीति निर्माण में एक अहम चेहरा रहे हैं।
सी. सदानंदन: जनसेवा और शिक्षा में जीवन समर्पित
सी. सदानंदन मास्टर, केरल के सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षक हैं। उन्होंने अनुसूचित जाति और जनजाति समुदायों के बीच शिक्षा और सामाजिक जागरूकता फैलाने के क्षेत्र में लंबे समय तक काम किया है। उन्हें कई संगठनों ने ग्रासरूट स्तर पर उत्कृष्ट सामाजिक कार्य के लिए सम्मानित भी किया है।
राज्यसभा में नामांकन की प्रक्रिया
भारतीय संसद के उच्च सदन राज्यसभा में कुल 245 सदस्य होते हैं, जिनमें से 233 सदस्य राज्यों की विधानसभाओं द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं, जबकि 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाते हैं। यह मनोनयन कला, साहित्य, विज्ञान और सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञों को संसद में प्रतिनिधित्व देने की मंशा से होता है।