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एयर इंडिया विमान हादसा: बीमा कंपनियों पर पड़ेगा 2,490 करोड़ का बोझ
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अहमदाबाद में हुआ एयर इंडिया का भयावह विमान हादसा केवल मानवीय क्षति तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इससे बीमा उद्योग को भी भारी आर्थिक झटका लगने की आशंका है। बीमा विशेषज्ञों के अनुसार, इस त्रासदी में अनुमानित बीमा दावों की राशि ₹2,490 करोड़ तक पहुंच सकती है, जो भारतीय विमानन इतिहास की सबसे बड़ी बीमा देनदारी बन सकती है।
दरअसल, यह हादसा एयर इंडिया की बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर फ्लाइट के टेकऑफ के दौरान हुआ, जिसमें 242 में से 241 यात्रियों की दुखद मृत्यु हो गई। विमान लंदन के लिए रवाना हो रहा था और अहमदाबाद एयरपोर्ट पर रनवे से फिसलने के बाद यह एक इमारत से टकरा गया।
बीमा कंपनियों की जिम्मेदारी
सूत्रों के अनुसार, न्यू इंडिया एश्योरेंस और टाटा AIG इस विमान के मुख्य बीमाकर्ता थे। हालांकि, इस स्तर के जोखिम का अधिकांश हिस्सा अंतरराष्ट्रीय री-इंश्योरेंस कंपनियों को ट्रांसफर किया गया था, जिसमें AIG लंदन प्रमुख है। एयर इंडिया ने विस्तारा के साथ मर्जर के बाद अपने पूरे बेड़े—300 से अधिक विमानों—के लिए करीब ₹1.66 लाख करोड़ का बीमा कवर ले रखा है।
बीमा क्लेम की दो मुख्य श्रेणियां
बीमा भुगतान दो प्रमुख हिस्सों में बांटा जाएगा:
हल इंश्योरेंस (Hull Insurance) – इसमें विमान की कीमत के आधार पर भुगतान होगा, जिसकी राशि ₹1,660 करोड़ से ₹2,490 करोड़ के बीच हो सकती है।
पैसेंजर लायबिलिटी – मृत यात्रियों के परिजनों को अंतरराष्ट्रीय कानूनों जैसे मॉन्ट्रियल कन्वेंशन और 'कैरिएज बाय एयर एक्ट, 1972' के तहत मुआवजा दिया जाएगा। इसमें राशि ₹4,000 करोड़ से अधिक भी पहुंच सकती है।
मुआवजा कैसे तय होता है?
मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत, मुआवजा यात्री की आयु, पेशा, आमदनी और आश्रितों की संख्या जैसे कारकों के आधार पर तय होता है। कोर्ट द्वारा निर्धारित आंकड़ों के अनुसार भुगतान किया जाता है।
इतिहास में सबसे बड़ी बीमा देनदारी?
इससे पहले, 2020 में कोझिकोड विमान हादसे में केवल 21 मौतें हुई थीं, लेकिन तब भी बीमा कंपनियों को ₹315 करोड़ से अधिक का भुगतान करना पड़ा था। इस बार चूंकि मौतों की संख्या कहीं ज्यादा है, इसलिए यह क्लेम भारत के एविएशन बीमा इतिहास की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बन सकती है।