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सीमावर्ती गांवों में योग से जागी नई चेतना, पर्यटन और विकास को मिलेगा बढ़ावा
Jagran Desk
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21 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (UTDB) ने राज्य के दूरदराज के सीमावर्ती गांवों में विशेष योग कार्यक्रमों का आयोजन किया। ये आयोजन उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ जिलों के माणा, मलारी, जादुंग, नीलंग, हर्षिल, डुग्टू, नाभीढांग जैसे गांवों में किए गए, जो भारत सरकार की वाइब्रेंट विलेजेस योजना के अंतर्गत चिन्हित हैं।
इन कार्यक्रमों में स्थानीय ग्रामीणों, युवाओं, स्कूली बच्चों और भारतीय सेना के जवानों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। अनुभवी योग प्रशिक्षकों की देखरेख में प्रतिभागियों ने योग आसनों, प्राणायाम और ध्यान की विभिन्न विधियों का अभ्यास किया।
इस पहल का उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में स्वास्थ्य जागरूकता, योग का महत्व और सांस्कृतिक पुनरुत्थान को बढ़ावा देना है। यह प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के 'वाइब्रेंट विलेजेस' विजन के अनुरूप है, जिसमें सीमावर्ती गांवों को सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाना शामिल है।
इस अवसर पर पर्यटन सचिव एवं यूटीडीबी के सीईओ ने कहा कि उत्तराखंड का शांत और प्राकृतिक वातावरण योग के लिए अत्यंत उपयुक्त है। उन्होंने बताया कि सरकार इन गांवों को योग पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में कार्य कर रही है, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे।
उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने भविष्य में भी इस प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजन का संकल्प लिया है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले और सीमावर्ती क्षेत्रों का समग्र विकास सुनिश्चित हो सके।