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जनजातीय संग्रहालय में सुरों का अंतरराष्ट्रीय संगम, विश्व संगीत दिवस पर डेविड वाल्टर्स और डॉ. रीता देव की भावपूर्ण प्रस्तुतियाँ
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संगीत की कोई भाषा नहीं होती, यह बात शनिवार शाम भोपाल के जनजातीय संग्रहालय में विश्व संगीत दिवस के अवसर पर एक बार फिर सिद्ध हुई। मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित ‘संगीत संध्या’ में फ्रांसीसी-कैरेबियाई संगीतकार डेविड वाल्टर्स और भारतीय शास्त्रीय गायिका डॉ. रीता देव की प्रस्तुतियों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
डेविड वाल्टर्स की 'सोल ट्रॉपिकल' से सजी अंतरराष्ट्रीय धुनें
कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति में सुप्रसिद्ध फ्रेंच-कैरेबियाई गायक डेविड वाल्टर्स ने अपने बैंड के साथ धमाकेदार प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने चर्चित एल्बम ‘सोल ट्रॉपिकल’ के गीतों — ‘ला वी अ बेल’, ‘जोडीया’, ‘डी यो’, ‘गिम्मे लव’, ‘नाइट इन माडिनिना’, ‘डोंट यू’ — को प्रस्तुत कर समां बांध दिया।
वाल्टर्स की प्रस्तुति में कैरेबियाई लोक धुनें, इलेक्ट्रॉनिक बीट्स और भारतीय सुरों का सुंदर संगम देखने को मिला। उनके साथ ड्रम्स पर एंडी लॉइक बेराल्ड काटेलो और की-बोर्ड पर जेवियर यान बेलिन ने शानदार संगत दी।
डॉ. रीता देव ने रागों में पिरोई वर्षा ऋतु की अनुभूति
कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति में डॉ. गिरिजा देवी की शिष्या डॉ. रीता देव ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की गरिमा बढ़ाई। उन्होंने राग मेघ मल्हार में बंदिश ‘जिया मोरा डर लागे...’ से शुरुआत की और फिर ‘गगन गरज चमकत दामिनी...’ प्रस्तुत कर श्रोताओं को मानसून का संगीतात्मक स्पर्श दिया।
इसके बाद उन्होंने मिश्र तिलक कामोद में ठुमरी ‘अबकी सावन घर आजा...’ और कजरी ‘घिर घिर आई सावन की बदरिया...’ के साथ संध्या को संगीतमय समापन दिया।
गायन में तबले पर हितेंद्र दीक्षित, हारमोनियम पर रचना शर्मा, और तानपुरे पर आभा जैन एवं भारती सोनी ने उत्कृष्ट संगत दी।
संस्कृति विभाग की गरिमामयी उपस्थिति
इस अवसर पर संस्कृति संचालक एन.पी. नामदेव, उप-संचालक डॉ. पूजा शुक्ला, संग्रहाध्यक्ष अशोक मिश्रा, आलियांज फ्रांसिस की निदेशक इनग्रीड ल गार्गासोन, उप-निदेशक रीता गोहाडे, और अध्यक्ष अखिलेश वर्मा विशेष रूप से उपस्थित रहे।