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“चोरी नहीं, चौंकाने वाली चाल: जब काले जादू और नकली चाबी से लूटा गया बैंक का खजाना”
विजयपुरा (कर्नाटक)।

“59 किलो सोना, 5 लाख से अधिक नकद और एक काली गुड़िया – यह कोई फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि एक बैंक के भीतर हकीकत में घटा वह अपराध है जिसने पूरे देश को हैरान कर दिया है।”
कर्नाटक के विजयपुरा ज़िले के एक छोटे से कस्बे माणगुली में स्थित कैनरा बैंक की शाखा में 24 मई की रात से 26 मई की सुबह के बीच जो कुछ हुआ, वह भारतीय बैंकिंग इतिहास की सबसे रहस्यमयी और हैरान करने वाली डकैतियों में से एक बन गया है।
चोरी की शुरुआत: बंद बैंक और खुली तैयारी
वो शनिवार था। बैंक सप्ताहांत की छुट्टियों के लिए बंद हो गया था। लेकिन बैंक की दीवारों के पीछे कुछ और ही चालें चल रही थीं।
26 मई, सोमवार सुबह, जब बैंक की एक पार्ट-टाइम सफाईकर्मी ने शटर का लॉक टूटा पाया, तो उसे अंदाजा भी नहीं था कि भीतर का नजारा कैसा होगा। अंदर का लॉकर टूटा हुआ था, कैश गायब था और सबसे चौंकाने वाली बात – एक काली गुड़िया टूटी खिड़की के पास पड़ी थी।
प्लानिंग: नकली चाबी और अलार्म को निष्क्रिय कर दिया गया
पुलिस जांच में जो तथ्य सामने आए, उन्होंने साफ कर दिया कि यह कोई सामान्य चोरी नहीं थी। 6 से 8 लोगों के गिरोह ने पूरी योजना बना रखी थी।
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बैंक के मुख्य लॉकर की नकली चाबी तैयार की गई थी।
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चोरों ने बैंक के अलार्म सिस्टम को पहले ही डिसएबल कर दिया था।
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चोरी सिर्फ उस लॉकर से की गई, जिसमें गोल्ड लोन के तहत गिरवी रखा गया 59 किलो सोना रखा था।
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बाक़ी किसी लॉकर को छुआ तक नहीं गया।
इससे यह आशंका और भी गहरी होती है कि चोरों को बैंक के भीतरू इंतज़ामों और ले-आउट की पूरी जानकारी थी।
गोल्ड लोन का सोना — आम लोगों की पूंजी लुटी
जो 59 किलो सोना चोरी गया, वह बैंक के नहीं, बल्कि उन सैकड़ों आम लोगों का था जिन्होंने गोल्ड लोन के लिए अपने गहने, पीढ़ियों से संजोया सोना जमा किया था।
ग्राहकों में हड़कंप है। “बैंक में अगर हमारा सोना भी सुरक्षित नहीं है, तो हम कहां जाएं?”, यह सवाल हर ग्राहक के चेहरे पर तैर रहा है।
काली गुड़िया की कहानी: अंधविश्वास या जानबूझकर भ्रम?
सबसे रहस्यमयी तत्व इस चोरी का वह काली गुड़िया है, जो घटनास्थल पर पाई गई।
कुछ लोग मान रहे हैं कि यह काले जादू का संकेत था। लेकिन पुलिस और साइकोलॉजिकल एक्सपर्ट्स इसे एक “डिस्ट्रैक्शन टूल” मानते हैं — यानी ध्यान भटकाने का तरीका।
“यह प्रतीकात्मक संदेश था, ताकि पुलिस की जांच गलत दिशा में जाए या अपराध को रहस्य बना दिया जाए।”
जांच की स्थिति: 8 टीमें सक्रिय, साइबर और तकनीकी सुरागों की तलाश
विजयपुरा के एसपी लक्ष्मण निम्बार्गी के अनुसार:
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चोरी की एफआईआर दर्ज हो चुकी है।
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पुलिस की 8 टीमें बनाई गई हैं जो सीसीटीवी फुटेज, तकनीकी विश्लेषण, कॉल डेटा और बैंक स्टाफ की भूमिका की जांच कर रही हैं।
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जांच में आंतरिक मिलीभगत की संभावना को भी खारिज नहीं किया जा रहा।
ग्राहकों का आक्रोश: “सिर्फ लॉकर नहीं, भरोसा भी टूटा”
शिवना गौड़ा, जो बैंक के नियमित ग्राहक हैं, कहते हैं —
“हमने बैंक पर भरोसा किया था, अपने परिवार की संपत्ति गिरवी रख दी थी। लेकिन अब न गहने बचे और न भरोसा।”
यह घटना अब सिर्फ एक चोरी नहीं, बल्कि बैंकिंग सेक्टर की साख और सुरक्षा के प्रति चेतावनी बन चुकी है।
बड़ा सवाल: क्या सार्वजनिक बैंकों की सुरक्षा में चूक हो रही है?
कई वित्तीय विशेषज्ञ मानते हैं कि बैंकों में अब सिर्फ सीसीटीवी और अलार्म पर्याप्त नहीं हैं।
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बायोमैट्रिक एक्सेस,
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24x7 लॉकर मॉनिटरिंग,
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डबल एन्क्रिप्शन लॉकर लॉकिंग सिस्टम,
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और इंटरनल साइबर ऑडिट जैसे उपाय अब समय की मांग हैं।
ये सिर्फ सोने की चोरी नहीं — यह पूरे सिस्टम पर सवाल है
कैनरा बैंक की यह घटना दिखाती है कि जब सुरक्षा तंत्र कमजोर हो और सूचना लीक हो, तो अपराधी कितनी आसानी से पूरे बैंक को चकमा दे सकते हैं।
59 किलो सोना, करोड़ों की आम जनता की पूंजी, एक रहस्यमयी गुड़िया और एक चेतावनी भरा सवाल:
“अब बैंक सुरक्षित नहीं, तो हम कहां सुरक्षित हैं?”