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मंत्री विजय शाह मामले में गठित SIT पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने X पर उठाई निष्पक्षता की चिंता
BHOPAL, MP

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मंत्री विजय शाह के खिलाफ गठित तीन सदस्यीय विशेष जांच टीम (SIT) की निष्पक्षता को लेकर अब विपक्ष ने सवाल खड़े कर दिए हैं।
कांग्रेस विधायक एवं नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा करते हुए दावा किया कि SIT में शामिल अधिकारी पहले विजय शाह के अधीन काम कर चुके हैं, ऐसे में निष्पक्ष जांच की उम्मीद कैसे की जा सकती है?
कांग्रेस ने कही 'बचाव अभियान' जैसी बात
उमंग सिंघार ने लिखा,
“सूत्रों के अनुसार— SIT में शामिल आईजी प्रमोद वर्मा वर्ष 2010 में खरगोन के एसपी थे, जब विजय शाह जिले के प्रभारी मंत्री थे। वहीं, डीआईजी कल्याण चक्रवर्ती वर्ष 2018 में एसपी खरगोन थे और उस समय विजय शाह वन मंत्री थे। ऐसे में सवाल उठता है – जिन अफसरों ने मंत्री के अधीन काम किया, क्या वे निष्पक्ष जांच कर पाएंगे? क्या यह जांच है या बचाव अभियान?”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि,
“क्या सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट देने के नाम पर सरकार आंखमिचौली खेल रही है? SIT की निष्पक्षता अब केवल एक दिखावा बनकर रह गई है।”
क्या है पूरा मामला?
बता दें, मंत्री विजय शाह ने हाल ही में इंदौर जिले के महू क्षेत्र में एक जनसभा के दौरान भारतीय सेना की महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। इस मामले में जबलपुर हाईकोर्ट के निर्देश पर उनके खिलाफ IPC की तीन धाराओं में FIR दर्ज की गई थी। मंत्री विजय शाह ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने 19 मई को खारिज करते हुए 24 घंटे के भीतर SIT गठित करने के निर्देश दिए थे।
कौन हैं SIT में शामिल अधिकारी?
सरकार द्वारा गठित तीन सदस्यीय SIT में निम्न अधिकारी शामिल हैं:
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प्रमोद वर्मा, IG सागर रेंज (राजस्थान के मूल निवासी, 2001 बैच)
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डी. कल्याण चक्रवर्ती, DIG SAF (पश्चिम बंगाल से, 2010 बैच)
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वाहिनी सिंह, SP डिंडोरी (राजस्थान की निवासी, 2014 बैच की महिला अधिकारी)
सरकार की चुप्पी पर भी उठे सवाल
विपक्ष ने SIT की संरचना पर सवाल खड़े करते हुए सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग की है कि क्या इन अफसरों की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पूरी तरह पालन हुआ है, जिसमें बाहरी राज्य से IPS और महिला अधिकारी शामिल करने की बात कही गई थी।