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पूजा से चाहिए पूर्ण फल? घर में करनी है शास्त्रों के अनुसार आराधना, तो जरूर अपनाएं ये नियम
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सनातन धर्म में हर कार्य को विधिपूर्वक करने पर विशेष फल प्राप्त होता है, फिर चाहे वह पर्व हो या पूजा। अक्सर हम घर पर पूजा तो करते हैं, लेकिन क्या वह शास्त्रों में बताई गई सही विधि से होती है? अगर नहीं, तो इससे पूजा का पूरा फल नहीं मिलता।
आइए जानते हैं कि घर में पूजा करने के लिए कौन-कौन से नियम और विधियां अपनानी चाहिए, जिससे भगवान प्रसन्न हों और पूजा सफल हो।
पूजा का अर्थ केवल दीप जलाना नहीं है
पूजा का वास्तविक उद्देश्य है — ईश्वर का सान्निध्य प्राप्त करना। इसके लिए शास्त्रों में कुछ निश्चित प्रक्रियाएं दी गई हैं, जिन्हें अपनाने से पूजा प्रभावशाली बनती है। अनजाने में हम कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो पूजा के प्रभाव को कम कर देती हैं।
शास्त्रों में वर्णित चार प्रमुख पूजा विधियां
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पंचोपचार पूजन विधि
इसमें 5 चीजें प्रमुख होती हैं:
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गंध
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पुष्प
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धूप
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दीप
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नैवेद्य
यह विधि सरल होती है और दैनिक पूजा के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
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दशोपचार पूजन विधि
दस चरणों में की जाने वाली पूजा है:
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पाद्य (पैर धोना)
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अर्घ्य
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आचमन
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मधुपर्क
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गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि
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षोडशोपचार पूजन विधि (16 उपचार)
शास्त्रों के अनुसार सबसे उत्तम विधि मानी जाती है:
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स्नान, वस्त्र, आभूषण, चंदन, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, स्तवन, तर्पण, नमस्कार आदि
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अष्टादशोपचार (18 उपचार)
इसमें स्वागत, आसन, दर्पण, माल्य, अनुलेपन आदि चरण भी जोड़े जाते हैं।
पूजा में किन बातों का रखें विशेष ध्यान?
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फर्श से ऊंचे स्थान पर चौकी लगाएं और भगवान की मूर्ति या फोटो रखें।
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पूजा से पहले आसन जरूर बिछाएं – पीले या लाल रंग का।
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खाली फर्श या खड़े होकर पूजा न करें।
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पूजा से पहले तीन बार आचमन करें – यह त्रिदेवों को प्रसन्न करता है।
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पूजा में साफ और साबुत चावल (अक्षत) ही चढ़ाएं।
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कुमकुम या हल्दी का तिलक करें – यह शुभ संकेत देता है।
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दूध, दही, घी जैसे पदार्थ तांबे के बर्तन में न रखें।
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पूजा में जल या पंचामृत उंगली से न डालें, चम्मच या कलश का उपयोग करें।
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देवता को चंदन बाएं हाथ की हथेली या कटोरी से लगाएं, कभी सीधे चकले से नहीं।
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पूर्व, उत्तर या ईशान कोण की ओर मुख करके ही पूजा करें।
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पूजा के दौरान सिर ढक कर बैठें – स्त्री और पुरुष दोनों।
पूजा के बाद क्या करें?
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पूजा के अंत में अपने आसन के नीचे कुछ जल छिड़कें, फिर उसे माथे पर लगाएं।
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इससे पूजा को पूर्णता मिलती है और आप भक्तिपूर्वक उठते हैं।
संक्षेप में याद रखें पूजा का मंत्र:
"विधि वही, फल वही। श्रद्धा के साथ नियम निभे, तभी प्रभु की कृपा सहेज पाएंगे।"