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भ्रष्टाचार का बोझ जनता क्यों उठाए? बघेल के समर्थन में 'चक्का जाम', कांग्रेस खुद असमंजस में
Jagran Desk
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छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एक के बाद एक गंभीर आरोपों के घेरे में हैं। ईडी ने पहले उनके OSD सौम्या चौरसिया और फिर बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया। अब बघेल की गिरफ्तारी भी समय की बात मानी जा रही है।
इस सबके बीच रायपुर समेत कई जिलों में 'चक्का जाम' का ऐलान कर बघेल ने खुद को राजनीतिक उत्पीड़न का शिकार दिखाने की कोशिश की है।
लेकिन यह विरोध किसके खिलाफ है, और इसकी कीमत कौन चुकाएगा?
उत्तर है—आम जनता।
'चक्का जाम' की आड़ में परेशान होगी जनता
बघेल समर्थकों के इस प्रदर्शन से अस्पताल जाने वाले मरीजों को, परीक्षा देने जा रहे छात्रों को, दफ्तर पहुंच रहे कर्मचारियों को और हर रोज़ की ज़िंदगी जी रहे आम नागरिकों को परेशान होना पड़ेगा। यह वही जनता है जो बघेल सरकार के कथित भ्रष्टाचार की शिकार पहले ही हो चुकी है।
अब सवाल ये है कि जब भ्रष्टाचार से किसी नेता को फायदा हुआ, तो सज़ा पूरी जनता क्यों भुगते?
बघेल सरकार पर लगे गंभीर आरोप
बघेल शासनकाल के दौरान शराब, कोयला, राशन वितरण और ऑनलाइन सट्टेबाज़ी जैसे क्षेत्रों में बड़े घोटाले सामने आए। ईडी के मुताबिक हर महीने करीब ₹750 करोड़ की अवैध वसूली होती थी।
बघेल ने इसे पार्टी के लिए फंडिंग बताया, लेकिन जांच एजेंसियों के अनुसार इस पैसे का बड़ा हिस्सा निजी खातों में गया।
कांग्रेस की चुप्पी भी बोल रही है बहुत कुछ
प्रियंका गांधी ने जरूर केंद्र सरकार को राजनीतिक प्रतिशोध का दोषी बताया, लेकिन कांग्रेस पार्टी अब तक भूपेश बघेल के समर्थन या असहमति पर कोई सीधा बयान नहीं दे रही।
पार्टी के अंदर कई नेता साफ कह चुके हैं—"जब मुनाफा अकेले का था, तो सजा भी अकेले भुगतो।"
भाजपा का हमला तेज, कांग्रेस की चिंता गहरी
भाजपा नेता ब्रजमोहन अग्रवाल ने कहा, "बघेल सरकार ने जनता को लूटा। आज पूरा परिवार गिरफ्त में है, जनता को असली चेहरा समझ में आ गया है।"
भाजपा ने कांग्रेस को सीधे कटघरे में खड़ा कर दिया है, जबकि कांग्रेस की रणनीति है—बघेल से दूरी बनाकर नुकसान सीमित रखना।
जनता का कसूर क्या है?
जनता अब सवाल पूछ रही है—जब सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग हुआ, जब अवैध वसूली से हजारों करोड़ बटोरी गई, तब कोई चक्का जाम नहीं हुआ। अब जब कानून अपना काम कर रहा है, तब सड़कों पर उतरकर कौन सा इंसाफ मांगा जा रहा है?
लोकतंत्र में जवाबदेही जरूरी है
यदि कांग्रेस सच में 'जनता की पार्टी' है, तो उसे स्पष्ट करना होगा—क्या वह भूपेश बघेल के निजी भ्रष्टाचार की जिम्मेदारी लेती है?
लोकतंत्र में सज़ा सिर्फ उस व्यक्ति को मिलनी चाहिए, जिसने अपराध किया हो—ना कि उस जनता को, जो पहले ही व्यवस्था से पीड़ित है।
अब जबकि ईडी की जांच तेज हो चुकी है और पार्टी का रुख ठंडा है, बघेल खुद को ‘राजनीतिक पीड़ित’ साबित करने की कोशिश में लगे हैं। लेकिन उनकी इस कहानी पर ना जनता भरोसा कर रही है और ना ही पार्टी। जनता और पार्टी दोनों उनके विश्वासघात को पहचान चुके हैं — यह सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि “धोखे में भी धोखा” था।
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