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क्लास में डाउट पूछने पर शिक्षक ने फोड़ा छात्र का सिर: अशोकनगर स्कूल में बर्बरता, केस दर्ज
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शिक्षा के मंदिर में मंगलवार को एक छात्र के लिए डरावनी घटना घट गई। वर्धमान स्कूल, अशोकनगर में कक्षा 12वीं में पढ़ने वाले छात्र आदित्य जैन को अंग्रेज़ी टीचर ने इतनी बुरी तरह पीटा कि उसके सिर से खून बहने लगा। कारण सिर्फ़ इतना था कि वह क्लास में अपने सहपाठी से एक डाउट क्लियर कर रहा था।
इस अमानवीय व्यवहार के खिलाफ पुलिस ने आरोपी शिक्षक गोविंद श्रीवास्तव पर केस दर्ज कर लिया है। स्कूल प्रशासन ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है, जबकि छात्र का इलाज जिला अस्पताल में जारी है।
क्या हुआ उस दिन?
दोपहर करीब 2 बजे की घटना है। आदित्य अपने दोस्त से अंग्रेज़ी का सवाल समझ रहा था। उसी समय शिक्षक गोविंद श्रीवास्तव क्लास में आए और आदित्य से नाम पूछा। फिर बिना कोई ठोस कारण बताए डंडे से बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया।
आदित्य के अनुसार, "पहले पैर पर मारा, फिर हाथ और सिर पर। सिर में इतनी जोर से डंडा मारा कि खून बहने लगा। मैं रोता रहा, पर सर नहीं रुके।"
सहपाठियों की मदद, परिजनों का आक्रोश
घटना देख क्लास के अन्य छात्र भी डर गए और शिक्षक से रोकने की गुहार लगाते रहे। खून बहते देख कुछ छात्रों ने उसे प्रिंसिपल ऑफिस पहुंचाया और फिर परिजनों को सूचना दी।
परिजन, खासकर जैन समाज के लोग तुरंत स्कूल पहुंचे और अपना आक्रोश जाहिर किया। इसके बाद आदित्य को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।
प्रिंसिपल का पक्ष और कार्रवाई
स्कूल के प्रिंसिपल देवेंद्र माथुर ने कहा,
“शिक्षक का व्यवहार गलत था। स्कूल में छात्रों की पिटाई की अनुमति नहीं है। घटना की गंभीरता को देखते हुए श्रीवास्तव को तत्काल निलंबित कर दिया गया है।”
हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि छात्र अस्पताल जाने को तुरंत तैयार नहीं था और अपने पिता के आने का इंतजार कर रहा था।
फरार है आरोपी टीचर, केस दर्ज
परिजनों की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने शिक्षक गोविंद श्रीवास्तव के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। फिलहाल आरोपी फरार है।
धारा 323 (मारपीट), 506 (धमकी), और किशोर न्याय अधिनियम की संबंधित धाराओं में केस दर्ज हुआ है।
चाचा का आरोप: "स्कूल खून के निशान मिटा रहा था"
पीड़ित के चाचा विजय जैन ने आरोप लगाया कि स्कूल प्रबंधन घटना को दबाने की कोशिश कर रहा था।
“एक शिक्षक ने आदित्य को चुपचाप बाहर ले जाया और कुछ कर्मचारी खून के धब्बे साफ करने में लग गए थे।”
प्रश्न उठता है—क्या यह शिक्षण है?
यह घटना केवल एक छात्र की नहीं, बल्कि हमारे शैक्षणिक तंत्र और मूल्य व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिह्न है। क्या एक छात्र का डाउट क्लियर करना अपराध है? शिक्षक के रूप में जिस संवेदनशीलता और संयम की अपेक्षा होती है, वह कहां गायब हो गई?