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आज का पंचांग (18 जून): कालभैरव की आराधना का उत्तम दिन, पर शुभ कार्यों के लिए नहीं है अनुकूल योग
Dharm Desk

आषाढ़ कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि बुधवार को विशेष रूप से धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
आज का दिन एक ओर कालाष्टमी का भयनाशक पर्व लेकर आया है, वहीं दूसरी ओर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पुण्य अवसर भी है। हालांकि, नक्षत्र और योग की स्थिति शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं मानी गई है। ऐसे में किसी भी नए कार्य या मांगलिक आयोजन से परहेज करना उचित रहेगा।
धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
18 जून को दो प्रमुख तिथियों का अद्भुत संयोग बन रहा है — कालाष्टमी और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी।
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कालाष्टमी तिथि भगवान कालभैरव की उपासना के लिए उत्तम मानी जाती है। यह दिन विशेषकर नकारात्मक शक्तियों, भय, भ्रम और मानसिक व्यग्रता के नाश के लिए उपयुक्त है।
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वहीं, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के मासिक जन्मोत्सव का दिन है, जिसे व्रत और रात्रि जागरण के साथ मनाया जाता है।
हालांकि आज का नक्षत्र, योग और ग्रह स्थितियां शुभ कार्यों के लिए प्रतिकूल मानी गई हैं। इसलिए विवाह, गृह प्रवेश, शुभ खरीददारी या अन्य शुभारंभ कार्यों को आज के दिन टालना ही श्रेयस्कर होगा।
18 जून 2025 का पंचांग (विक्रम संवत 2081)
विवरण | जानकारी |
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दिन | बुधवार |
हिंदू माह | आषाढ़ |
पक्ष | कृष्ण पक्ष |
तिथि | सप्तमी |
नक्षत्र | पूर्वाभाद्रपदा |
योग | प्रीति |
करण | बव |
चंद्र राशि | कुंभ |
सूर्य राशि | मिथुन |
सूर्योदय | सुबह 05:54 बजे |
सूर्यास्त | शाम 07:26 बजे |
चंद्रोदय | रात 12:24 बजे (19 जून) |
चंद्रास्त | सुबह 11:50 बजे |
राहुकाल और अशुभ समय
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राहुकाल: दोपहर 12:40 से 2:22 बजे तक
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यमगंड काल: सुबह 07:35 से 09:17 बजे तक
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गुलिक काल: 10:58 से 12:40 बजे तक
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दूषित मुहूर्त: विशेष रूप से दोपहर के समय
➡️ इन अवधियों में किसी भी शुभ या निर्णयात्मक कार्य से बचना चाहिए।
पूर्वाभाद्रपदा नक्षत्र का प्रभाव
पूर्वाभाद्रपदा नक्षत्र का स्वामी बृहस्पति है और इसका देवता रुद्र हैं। यह नक्षत्र आमतौर पर:
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शत्रु नाश, कीटनाशक क्रियाएं, विवाद समाधान, आगजनी नियंत्रण और जटिल मामलों की प्लानिंग जैसे कठोर या निर्णायक कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
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जबकि विवाह, व्यापार आरंभ, निवेश, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों के लिए यह नक्षत्र अशुभ फल देता है।
क्या करें क्या न करें
करें:
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भगवान कालभैरव और श्रीकृष्ण की उपासना करें
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भय, मानसिक बेचैनी या शत्रु संबंधी चिंताओं के समाधान हेतु प्रार्थना करें
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आत्मचिंतन और पुरानी समस्याओं के विश्लेषण के लिए दिन श्रेष्ठ है
ना करें:
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विवाह, मुहूर्त, व्यापार प्रारंभ या मकान खरीद जैसे शुभ कार्य
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राहुकाल और यमगंड काल में यात्रा या जरूरी निर्णय