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पिलरों पर जिंदगी की जंग: कांकेर के 4 गांव अब भी पुल से वंचित, बारिश में बन जाते हैं टापू
Kanker, CG

विकास के दावों के बीच छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के चार गांव — बांसकुंड, ऊपर तोनका, नीचे तोनका और चलाचूर — आज भी बुनियादी सुविधा ‘पुल’ से वंचित हैं।
चिनार नदी पर पुल नहीं होने के कारण बारिश के मौसम में ये गांव टापू बन जाते हैं और ग्रामीणों की जिंदगी हर दिन जोखिम में पड़ जाती है।
16 पिलरों पर चलती है जिंदगी
जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर बसे इन गांवों के लोग नदी पार करने के लिए स्टॉप डेम के 16 पिलरों का सहारा लेते हैं। छोटे-बड़े, बुजुर्ग और स्कूली बच्चे — सभी को इन्हीं पिलरों पर कूद-कूदकर नदी पार करनी पड़ती है। जो इस रास्ते पर चलने में असमर्थ हैं, वे नदी में उतरकर जान जोखिम में डालते हुए रास्ता पार करते हैं।
स्कूल, अस्पताल पहुंचना चुनौती से कम नहीं
मानसून के दिनों में ये हालात और भयावह हो जाते हैं। स्कूली शिक्षक स्कूल नहीं पहुंच पाते, मरीजों को अस्पताल ले जाना असंभव हो जाता है। कई बार स्थिति ऐसी हो जाती है कि आपातकालीन हालत में ग्रामीणों को गांव में ही घरेलू उपायों से इलाज कराना पड़ता है।
सरकारी वादे, अधूरी उम्मीदें
ग्रामीण कई सालों से पुल की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक सिर्फ एक अधूरी कच्ची सड़क ही बन पाई है। कई बार प्रशासन को अवगत कराने के बाद भी स्थायी समाधान नहीं हो पाया। इससे परेशान ग्रामीण अब सरकार से सीधी मांग कर रहे हैं कि चिनार नदी पर जल्द स्थायी पुल बनाया जाए।
प्रशासन का जवाब— प्रस्ताव तैयार है
इस मामले में जिला पंचायत सीईओ हरेश मंडावी ने जानकारी दी कि ग्रामीणों की लंबे समय से चल रही मांग पर काम हो रहा है। “चिनार नदी पर पुल निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया गया है। हम ऐसा पुल बनाएंगे जिससे ग्रामीणों को स्थायी राहत मिल सके,” उन्होंने कहा।