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7 साल में 62 हाथियों की मौत: सरगुजा संभाग में लटके बिजली के तार बने जानलेवा, 50 करोड़ खर्च के बाद भी समाधान अधूरा
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छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में बीते 7 वर्षों में 62 हाथियों की मौत ने वन्यजीव संरक्षण की गंभीर स्थिति को उजागर कर दिया है।
इनमें से 39 हाथियों की मौत का प्रमुख कारण बिजली के झूलते तारों से करंट लगना रहा। हैरानी की बात यह है कि लाखों की योजनाएं, करोड़ों का खर्च और विभागीय दावों के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है।
बिजली के झूलते तार बने 'मौत की लाइन'
सरगुजा और सूरजपुर जिलों में करीब 270 गांव ऐसे हैं, जहां बिजली के तार सिर्फ 7-10 फीट की ऊंचाई पर लटक रहे हैं। जबकि हाथियों की औसत ऊंचाई 9 से 11 फीट होती है, जिससे वे इन तारों की चपेट में आ जाते हैं। प्रतापपुर, मैनपाट और रामचंद्रपुर जैसे इलाकों में स्थिति और भी गंभीर है, जहां झुके खंभे और लटकते तार सीधे हाथियों के रास्ते में हैं।
जंगल कम, टकराव ज्यादा
रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ सरगुजा जिले में ही 7 वर्षों में 10 हजार हेक्टेयर जंगल क्षेत्र खत्म हो चुका है। इसके साथ ही 12 हजार से ज्यादा ग्रामीणों को वन अधिकार पत्र दिए गए, जिससे इंसानी गतिविधियां हाथियों के रास्ते में आ गई हैं। नतीजा – मानव-हाथी संघर्ष और मौतें।
50 करोड़ खर्च, फिर भी सिर्फ 30% कार्य पूरा
सरकार ने इन वर्षों में हाथियों की सुरक्षा और टकराव रोकने के लिए करीब 50 करोड़ रुपए खर्च किए, लेकिन बिजली कंपनी अब तक सिर्फ 30% झूलते तार ही दुरुस्त कर पाई है। सरगुजा बिजली विभाग के EE यशवंत शिलेदार का कहना है कि दिसंबर 2025 तक बाकी काम भी पूरा कर लिया जाएगा।
हाई-वोल्टेज से खतरे में जानवरों की जान
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बलरामपुर में 11 केवी और 33 केवी के तार 44 जगहों पर झूल रहे हैं
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मैनपाट, प्रतापपुर, करंजवार, सिघरा में झुके हुए खंभे और तार खुले रूप से लटके हैं
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सूरजपुर जिले में 77 गांव हाथियों के विचरण क्षेत्र में आते हैं, पर यहां तारों की ऊंचाई बेहद कम है
हाथियों के लिए क्यों घातक हैं ये तार?
हाथी जब सूंड उठाते हैं, या ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरते हैं, तब वे सीधे बिजली की चपेट में आ जाते हैं। फसल के लालच या जंगलों की कमी से जब वे गांवों की ओर आते हैं, तो ये तार उनके लिए ‘मौत का जाल’ बन जाते हैं। कई जगहों पर शिकार के लिए जानबूझकर बिछाए गए करंट वाले तार भी बड़ा खतरा हैं।
वन विभाग ने सर्वे कर रिपोर्ट सौंपी, कार्रवाई अधूरी
सरगुजा के CCF वी. माथेश्वरन ने पुष्टि की कि प्रभावित क्षेत्रों की रिपोर्ट बिजली विभाग को सौंप दी गई है। हाल ही में एक बैठक में कार्य में तेजी लाने के निर्देश भी दिए गए हैं, पर जमीनी स्तर पर सुधार बेहद धीमा है।