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छत्रपति संभाजी का मध्य प्रदेश कनेक्शन, फिल्म छावा में बुरहानपुर का जिक्र, यहां गरजीं तलवारें
Burhanpur, MP

फिल्म छावा की रिलीज के बाद से देश भर में मध्य प्रदेश का बुरहानपुर जिला चर्चा में बना हुआ है. जानें छत्रपति संभाजी और फिल्म छावा का बुरहानपुर कनेक्शन
छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी राजे के जीवन वृतांत और संघर्ष पर आधारित फिल्म छावा इन दिनों थिएटर में धूम मचा रही है. देश में तो इस फिल्म को पसंद किया जा ही रहा है, विशेष रूप से मध्य प्रदेश के मालवा निमाड़ और महाराष्ट्र में लोग छावा के दीवाने हो रहे हैं. दरअसल, संभाजी राजे का संबंध बुरहानपुर से भी रहा है. उन्होंने अपने शासनकाल में 3 बार बुरहानपुर पर विजय हासिल की थी. इस विजय गाथा को फिल्म छावा में ऐसे दिखाया गया है कि देखने वालों के रोंगटे खड़े हो रहे हैं.
ऐसे में देश भर में इस ऐतिहासिक शहर बुरहानपुर की चर्चा होना स्वाभाविक है, यही वजह है कि बुरहानपुर के लोग इस बात की खुशी मनाते हुए दूसरों को यह फिल्म देखने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं

फिल्म छावा की रिलीज के बाद चर्चाओं में बुरहानपुर
बता दें कि 14 फरवरी को सिनेमा घरों में फिल्म छावा रिलीज हो चुकी है. इसमें मराठा साम्राज्य के दूसरे छत्रपति संभाजी राजे के जीवन, संघर्ष और वीरता की कहानी का बखान किया गया है. यह फिल्म दर्शकों को इतिहास में घटी घटनाओं से भी रूबरू कराती है. यही वजह है कि महाराष्ट्र के सीमावर्ती बुरहानपुर में इस फिल्म का जमकर क्रेज देखने मिल रहा है. यहां 40 प्रतिशत से ज्यादा परिवार मराठी भाषी हैं.
इतिहासकार डॉ. वैद्य सुभाष ने बताया, " बुरहानपुर में छत्रपति संभाजी ने 3 बार विजयी हासिल की. इस फिल्म में उनके संघर्ष को बखूबी दर्शाया गया, जो युवा पीढ़ी को इतिहास से रूबरू कराती है. मुगल आक्रांताओं के खिलाफ उनकी वीरता और संघर्ष व स्वराज के लिए उनके बलिदान को जानने का अवसर मिल रहा है." वहीं थिएटर संचालक रुपिंदर सिंह ने कहा, '' छत्रपति संभाजी महाराज की शौर्य गाथा को इस फिल्म में दिखाया गया है, उन्होंने देश के लिए जो किया वो आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा है.''
मुगल शासकों का बुरहानपुर पर रहा कब्जा
मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक शहर बुरहानपुर पर मुगल शासनकाल की गहरी छाप भी देखने मिलती है. यहां हुमायूं से लेकर शाहजहां जैसे मुगल बादशाहों की हुकूमत रही. वहीं औरंगजेब की सेना का भी यहां खासा दखल रहा. कई मुगल शासकों ने इस शहर पर अपना खासा प्रभाव डाला. इतिहास के जानकार बताते हैं कि 1536 में गुजरात विजय के बाद मुगल शासक बाबर का बेटा हुमायूं भी बुरहानपुर आया था.
बेगम मुमताज का यहां रखा गया था शव
इतिहासकार डॉ. वैद्य बताते हैं, '' बुरहानपुर मुगल बादशाहों के लिए दक्षिण भारत में अभियान चलाने का प्रमुख केंद्र रहा है. इतना ही नहीं, शाहजहां ने भी बुरहानपुर में काफी समय बिताया था. शाही किला शाहजहां और बेगम मुमताज के शासनकाल की निशानी है. इस किले में 14वीं संतान को जन्म देते समय प्रसव पीड़ा से बेगम मुमताज महल का निधन हो गया था. करीब 6 महीने तक बेगम मुमताज के शव को बुरहानपुर में रखा गया था. इसके बाद उसे आगरा ले जाया गया था.''