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दोस्त की अंतिम इच्छा पूरी की, अर्थी के आगे नाचा – मंदसौर में दोस्ती का अनोखा उदाहरण
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मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के जवासिया गांव में 30 जुलाई को 71 वर्षीय सोहनलाल जैन की अंतिम यात्रा एक भावनात्मक और अनोखे दृश्य की गवाह बनी।
जहां एक ओर गांव शोक में डूबा था, वहीं दूसरी ओर एक मित्र अपने दिवंगत दोस्त की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए उसकी अर्थी के आगे बैंड-बाजे के साथ नाचता नजर आया।
यह दृश्य किसी तमाशे का नहीं, बल्कि दोस्ती की गहराई और अंतिम वचन की मर्यादा का प्रतीक था। नाचने वाला व्यक्ति था – अंबालाल प्रजापत, जिनसे सोहनलाल की वर्षों पुरानी दोस्ती थी।
अंतिम पत्र में मांगी थी नाचते हुए विदाई
दरअसल, 9 जनवरी 2021 को कैंसर से पीड़ित सोहनलाल जैन ने अपने मित्र अंबालाल को एक पत्र लिखा था। उस खत में उन्होंने लिखा —
"जब मैं इस दुनिया में न रहूं, तब मेरी अंतिम यात्रा में मेरी अर्थी के आगे नाचना। कोई रोना-धोना मत करना। मुझे खुशी-खुशी विदा करना।"
यह खत कैंसर का पता चलने के कुछ दिनों बाद लिखा गया था। उन्होंने अंत में अपने मित्र से क्षमा भी मांगी और 'राम-राम' कहा।
गांववालों ने रोका, फिर भी निभाई दोस्ती
जब अंबालाल प्रजापत अंतिम यात्रा के दौरान नाचने लगे, तो कई गांववालों ने उन्हें रोका। परंतु अंबालाल रुके नहीं। उन्होंने भावुक होकर कहा —
"यह मेरे मित्र की अंतिम इच्छा थी, मैं इसे कैसे अनसुना कर सकता हूं?"
उन्होंने नाचते समय कोई आंसू नहीं बहाया, लेकिन उनकी आंखों में छिपा दर्द सब समझ सकते थे। उन्होंने कहा — "मन बहुत भारी है, लेकिन मैं उसे शब्दों में नहीं कह सकता।"
चाय से शुरू हुई थी जीवनभर की दोस्ती
अंबालाल ने बताया कि करीब 20 साल पहले सोहनलाल सिहोर गांव से आकर जवासिया में बस गए थे। तब से उनकी चाय पर मुलाकातें शुरू हुईं और फिर यह रिश्ता धीरे-धीरे गहराता चला गया।
दोनों मित्र हर दिन मिलते, बातें करते और पिछले 10 वर्षों से रोज सुबह 5 बजे प्रभात फेरी निकालते थे। गांव की गलियों में उनका साथ एक मिसाल बन गया था।
श्रद्धा और वचन की मिसाल बनी यह विदाई
सोहनलाल का लिखा खत, अंबालाल की निष्ठा और अंतिम यात्रा में निभाया गया वादा – यह पूरी घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि दोस्ती केवल शब्दों में नहीं, कर्मों में जी जाती है।
यह सिर्फ एक विदाई नहीं थी, यह दोस्ती की उस संजीवनी का प्रमाण थी जो मृत्यु से भी अधिक गहरी होती है।