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विंध्य में पहली बार सफल ड्रग इल्यूटिंग बैलून एंजियोप्लास्टी, रीवा के सरकारी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल ने रचा इतिहास
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विंध्य क्षेत्र के सरकारी स्वास्थ्य तंत्र को एक बड़ी चिकित्सा सफलता मिली है। रीवा स्थित सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल ने पहली बार ड्रग इल्यूटिंग बैलून (DEB) एंजियोप्लास्टी कर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की है। यह उपलब्धि खास इसलिए भी है क्योंकि अब तक यह तकनीक केवल बड़े महानगरों तक सीमित थी।
50 वर्षीय मरीज की नसें थीं 99% तक बंद
रीवा निवासी सुरेश कुमार नामदेव (50 वर्ष) को लंबे समय से सीने में तेज दर्द की शिकायत थी। वह डॉ. एस. के. त्रिपाठी की ओपीडी में पहुंचे। जांच में सामने आया कि उनकी हृदय की एक मुख्य नस 99% बंद थी जबकि दूसरी नस 80% तक अवरुद्ध हो चुकी थी। यदि समय पर इलाज नहीं होता, तो यह गंभीर हृदयघात में बदल सकता था।
एक नस में स्टंट, दूसरी में नई तकनीक DEB से खुला रास्ता
डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि मरीज की मुख्य नस में स्टंट डाला गया, जबकि दूसरी नस में बिना स्टंट वाली ड्रग इल्यूटिंग बैलून (DEB) तकनीक का उपयोग किया गया। यह करीब दो घंटे तक चला प्रोसीजर पूरी तरह सफल रहा।
क्या है DEB एंजियोप्लास्टी?
DEB (Drug Eluting Balloon) एंजियोप्लास्टी एक आधुनिक हृदय उपचार तकनीक है जिसमें बिना स्टंट लगाए, विशेष दवा से लेपित बैलून के माध्यम से नस को खोला जाता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि मरीज के शरीर में मेटल इम्प्लांट नहीं डाला जाता, जिससे दीर्घकालिक जटिलताओं का खतरा कम होता है।
बायपास सर्जरी से मिली राहत, इलाज रहा पूरी तरह मुफ्त
जहां निजी अस्पतालों में यह प्रक्रिया 3 से 5 लाख रुपए तक खर्चीली होती है, वहीं रीवा के सरकारी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में यह पूरी तरह मुफ्त में की गई। इससे मरीज को बायपास सर्जरी जैसे बड़े ऑपरेशन से भी राहत मिली।
टीम वर्क बना सफलता की कुंजी
डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि यह सफलता पूरी चिकित्सा टीम के सहयोग का नतीजा है। नर्सिंग स्टाफ, टेक्नीशियन और कार्डियोलॉजी विभाग के सभी सदस्यों का योगदान उल्लेखनीय रहा। यह उपलब्धि न केवल मरीज बल्कि विंध्य क्षेत्र के लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण बन गई है।