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गुना बना 'जूनागढ़': एसपी अंकित सोनी पर गहराया राजनीतिक संकट, बीजेपी विधायक की नाराजगी ने बढ़ाया विवाद
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कभी पुलिस अधिकारियों के लिए आदर्श माने जाने वाला गुना जिला, अब ऐसी जगह बनता जा रहा है जहां हर एसपी की कुर्सी खतरे में रहती है। बीते 6 वर्षों में 6 पुलिस अधीक्षकों का तबादला इसी बात की तस्दीक करता है कि गुना अब आईपीएस अधिकारियों के लिए ‘जूनागढ़’ जैसा चुनौतीपूर्ण क्षेत्र बन चुका है।
ववाद की जड़ – ट्रांसफर-पोस्टिंग और राजनीतिक हस्तक्षेप
ताजा मामला गुना के वर्तमान एसपी अंकित सोनी और चांचौड़ा की बीजेपी विधायक प्रियंका मीना (पैची) के बीच टकराव को लेकर चर्चा में है। विधायक का आरोप है कि एसपी और एसडीओपी उन्हें महिला होने के कारण मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को इस संबंध में पत्र भी लिखा है, जो अब सार्वजनिक हो चुका है।
चाहिए ‘पसंद का अधिकारी’
विधायक प्रियंका मीना का कहना है कि थानों में तबादले बिना स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रभारी मंत्री की सलाह के किए जा रहे हैं। उनका दावा है कि एसपी को थानेदारों की पोस्टिंग उनके सुझाव के अनुसार करनी चाहिए थी, लेकिन प्रशासनिक फैसलों में उन्हें नजरअंदाज किया गया।
वायरल हुआ विधायक का पत्र
विधायक द्वारा सीएम को लिखा गया पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए विधायक ने कहा, "मैं एक महिला हूं और जनप्रतिनिधि के तौर पर अपनी बात रखना मेरा अधिकार है। मैंने संगठन और मुख्यमंत्री को अपने अनुभव से अवगत कराया है।”
एसपी सोनी का पलटवार
एसपी अंकित सोनी ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि चांचौड़ा के 5 थानों में से सिर्फ दो में बदलाव किया गया है। एक एसआई का ट्रांसफर तो विधायक की अनुशंसा पर ही हुआ था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कई पोस्टिंग प्रक्रिया में हैं और सभी प्रशासनिक निर्णय कानून और व्यवस्था के तहत लिए गए हैं।
कहां से शुरू हुआ था विवाद?
बताया जा रहा है कि पुलिस मुख्यालय द्वारा चांचौड़ा एसडीओपी का तबादला किए जाने से विधायक प्रियंका मीना नाराज थीं। उन्होंने इसी बहाने एसपी को भी घेर लिया। हालांकि एसडीओपी महेंद्र गौतम ने स्थिति साफ करते हुए कहा कि वे फिलहाल अतिरिक्त प्रभार में हैं क्योंकि नियमित अधिकारी मातृत्व अवकाश पर हैं।