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दमोह की मासूम के फेफड़े से निकली एलईडी लाइट: PICU में तीन दिन संघर्ष के बाद बची बच्ची की जान
Jabalpur, MP
नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज, जबलपुर के डॉक्टरों ने एक ऐसा ऑपरेशन कर दिखाया, जिसने न केवल चिकित्सा जगत को चौंकाया बल्कि एक परिवार की जिंदगी भी बचा ली।
दमोह जिले की डेढ़ साल की मासूम गरिमा के फेफड़े की मुख्य श्वसन नली में करीब डेढ़ इंच लंबी एलईडी लाइट फंसी हुई थी, जिससे उसकी जान को गंभीर खतरा था। डॉक्टरों की सतर्कता और कुशल टीमवर्क की बदौलत ब्रोंकोस्कॉपी ऑपरेशन के जरिए उस लाइट को सुरक्षित निकाल लिया गया। तीन दिन तक PICU में रहने के बाद अब गरिमा पूरी तरह स्वस्थ है।
खांसी से बिगड़ी तबीयत, एक्सरे में दिखी रहस्यमयी वस्तु
दमोह जिले के हीरा सिंह की बेटी गरिमा को पिछले एक सप्ताह से तेज खांसी थी। प्राथमिक इलाज के बाद भी सुधार नहीं हुआ तो परिवार ने एक्सरे कराया। रिपोर्ट में डॉक्टरों को उसके फेफड़े में किसी विदेशी वस्तु के फंसे होने की आशंका हुई। मामला गंभीर देखते हुए गरिमा को तत्काल जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया।
रातभर चला ऑपरेशन, डॉक्टरों ने दिखाई अद्भुत सूझबूझ
26 अक्टूबर की रात बच्ची को बाल रोग विभाग में भर्ती किया गया। जांच के दौरान ईएनटी टीम ने पाया कि दाहिने फेफड़े की मुख्य श्वसन नली में एलईडी लाइट फंसी है। इतनी नाजुक उम्र की बच्ची के फेफड़े से इस वस्तु को निकालना बेहद जोखिमपूर्ण था। डॉक्टरों ने देर रात ब्रोंकोस्कॉपी प्रक्रिया शुरू की और करीब एक घंटे की मेहनत के बाद एलईडी को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। डॉक्टरों ने बताया कि अगर थोड़ी भी देरी होती, तो बच्ची की जान खतरे में पड़ सकती थी।
तीन दिन रही वेंटिलेशन पर, अब पूरी तरह स्वस्थ
ऑपरेशन के बाद गरिमा को पेडियाट्रिक आईसीयू (PICU) में भर्ती किया गया, जहां उसे 27 से 29 अक्टूबर तक मैकेनिकल वेंटिलेशन पर रखा गया। डॉक्टरों की सतत निगरानी और देखभाल से उसकी तबीयत में तेजी से सुधार हुआ और 29 अक्टूबर को उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
भावुक हुए माता-पिता, डॉक्टरों को कहा ‘जीवनदाता’
गरिमा के माता-पिता ने डॉक्टरों के प्रति आभार जताते हुए कहा, “यह हमारे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं। डॉक्टरों ने हमारी बेटी को नई जिंदगी दी है।”
मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने इस सफलता को डॉक्टरों की विशेषज्ञता, समय पर निर्णय और टीमवर्क का परिणाम बताया।
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