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सीमावर्ती किसानों की खेती को लेकर शिवराज सिंह की उच्चस्तरीय बैठक: बोले- “किसान की चिंता करना हमारी ड्यूटी”
Bhopal, MP

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को सीमावर्ती राज्यों के किसानों की स्थिति को लेकर एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक की।
बैठक में गुजरात, राजस्थान, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में किसानों की खेती, खाद-बीज की उपलब्धता और फसल की तैयारी को लेकर गहन चर्चा हुई।
सीमा पर जवान लड़ रहा है, किसान भी खेतों में तैनात है
बैठक की अध्यक्षता करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "देश की वर्तमान परिस्थितियों में जहां सीमा पर हमारे जवान लड़ रहे हैं, वहीं सीमा पर मौजूद किसान भी देश के लिए खेतों में संघर्ष कर रहे हैं। किसानों की सुरक्षा और खेती की सुविधा सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है।"
खरीफ सीजन के लिए खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश
केंद्रीय मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे खरीफ सीजन की तैयारी के तहत सीमावर्ती जिलों में बोई जाने वाली फसलों और आवश्यक बीज, खाद, डीजल व अन्य इनपुट्स की सूची तैयार करें। साथ ही यह सुनिश्चित करें कि किसानों को समय पर सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हो सकें।
सीमा के 10-15 किमी क्षेत्र में गांवों की पहचान करने को कहा
मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि सीमा से लगे 10–15 किलोमीटर के क्षेत्र में आने वाले गांवों की पहचान करें और वहां की खेती योग्य जमीन, प्रभावित किसानों की संख्या और फसलों की जानकारी जुटाएं। उन्होंने कहा कि जिन किसानों को सुरक्षा कारणों से उनके खेतों से दूर रखा गया है, उनकी मदद के लिए विशेष योजना बनाई जाए।
आदान की देश में कोई कमी नहीं: शिवराज सिंह
बैठक में शिवराज सिंह ने स्पष्ट किया कि देश में खाद, यूरिया, डीएपी, एनपीके, और डीजल जैसी आवश्यक वस्तुओं की कोई कमी नहीं है। हालांकि, उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इनकी आपूर्ति की समीक्षा की जाए और बफर स्टॉक की स्थिति को मजबूत किया जाए।
मुख्यमंत्रियों और मुख्य सचिवों से होगी बातचीत
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि राज्यों में मुख्यमंत्रियों, मुख्य सचिवों और कृषि विभाग के अधिकारियों से चर्चा कर यह जाना जाएगा कि किस प्रकार केंद्र सरकार उनके किसानों की सहायता कर सकती है। उन्होंने कहा कि हर राज्य के साथ मिलकर एक समग्र योजना बनाई जाएगी ताकि सीमावर्ती क्षेत्रों में किसानों की फसलें सुरक्षित और समय पर बोई जा सकें।